केजरीवाल के पास प्रचार के लिए 20 दिन, इन 18 सीटों पर रहेगी नजर, जानें- कितना बदल सकता है AAP का चुनावी कैंपेन

बता दें कि, पहले चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी असम में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए हैं. तीसरे चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए हैं.

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अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है

आशुतोष मिश्रा / पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST

सीएम अरविंद केजरीवाल, शुक्रवार को तिहाड़ से अंतरिम जमानत पर बाहर निकलकर आ गए हैं. केजरीवाल को ये बेल चुनाव को देखते हुए दी गई है, जिसकी तारीख 1 जून तक ही निर्धारित है. बीते तीन चरणों के चुनाव में केजरीवाल प्रचार नहीं कर पाए हैं, लेकिन अब दिल्ली चुनाव, हरियाणा और पंजाब के चुनावों के लिए दिल्ली सीएम जोर-शोर से मैदान में उतरने वाले हैं. सवाल ये है कि आगामी 13 से 15 दिनों में वह कहां-कहां और कैसे प्रचार करने वाले हैं. 

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पहले-दूसरे और तीसरे चरण में केजरीवाल नहीं कर पाए प्रचार
बता दें कि, पहले चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी असम में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए हैं. तीसरे चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जिसमें अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए हैं. दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए गिनती 12-13 दिन बचे हैं जहां पर आम आदमी पार्टी 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. यहां पार्टी को केजरीवाल के चुनाव प्रचार का फायदा हो सकता है. ‌

कुल 22 लोकसभा सीटों पर AAP लड़ रही चुनाव
इतना ही समय हरियाणा की कुरुक्षेत्र सीट के लिए भी है, जहां पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है, साथ ही पंजाब का चुनाव प्रचार बचा हुआ है जहां पर आम आदमी पार्टी सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जहां केजरीवाल के चुनाव प्रचार का आम आदमी पार्टी को फायदा हो सकता है. आम आदमी पार्टी कुल 22 लोकसभा सीटों पर खुद चुनाव लड़ रही है जिसमें से चार पर अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार के बिना ही वोटिंग हो चुकी है. 

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18 सीटों पर प्रचार कर पाएंगे केजरीवाल
सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब 18 सीटों पर अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार कर पाएंगे. संजय सिंह फिलहाल आम आदमी पार्टी के लिए ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे शरद पवार कांग्रेस के गठबंधन उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी और केजरीवाल अब ये तय करेंगे कि दिल्ली हरियाणा पंजाब के साथ क्या दूसरे राज्यों में भी इंडिया गठबंधन के लिए केजरीवाल चुनाव प्रचार करेंगे या नहीं.

कहां-कहां और कितना प्रचार कर पाएंगे अरविंद केजरीवाल
अभी समझते हैं कि आखिर अब प्रचार के लिए जमानत मिली है तो अरविंद केजरीवाल कहां और कितने दिन प्रचार कर पाएंगे? पहले चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी असम में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जिसमें अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए हैं. तीसरे चरण के चुनाव में आम आदमी पार्टी गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, यहां भी अरविंद केजरीवाल चुनाव प्रचार नहीं कर पाए थे. दिल्ली में 25 मई को मतदान है. 

दिल्ली में मतदान से पहले प्रचार के लिए 12 दिन
यानी 12 दिन केजरीवाल के पास प्रचार के लिए हैं.  दिल्ली में चार सीट पर आम आदमी पार्टी लड़ रही और तीन पर गठबंधन में कांग्रेस लड़ रही है. यानी सात सीट पर केजरीवाल प्रचार कर पाएंगे. हरियाणा की कुरुक्षेत्र सीट पर भी आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार है. यहां भी केजरीवाल प्रचार के लिए अब जा सकेंगे. पंजाब की 13 सीटों पर प्रचार में केजरीवाल अब पहुंच पाएंगे. कुल देखा जाए तो आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर लड़ रही है, जिनमें से 18 सीटों पर प्रचार का मौका केजरीवाल के पास है.

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जहां सरकार वहां प्रचार का पूरा मौका
यहां अहम बात ये समझ लीजिए कि अभी दिल्ली, पंजाब यानी जहां केजरीवाल की पार्टी की सरकार है और पार्टी मजबूत है, वहां प्रचार का पूरा मौका अरविंद केजरीवाल के पास है. यानी नतीजे अगर केजरीवाल के पक्ष में नहीं भी आए तो ये कहने का मौका नहीं होगा कि प्रचार करने ही नहीं दिया गया. अब दस्तक देता सवाल है कि आखिर अरविंद केजरीवाल के जेल से बेल पर बाहर आने से कितना असर होगा ?

क्या बोले सौरभ भारद्वाज?
केजरीवाल अंतरिम जमानत पर आ गए हैं और इस वजह से दिल्ली में कई जगहों पर आतिशबाजी का नजारा दिखाई दे रहा है. आम तौर पर ऐसी आतिशबाजी चुनावी माहौल में नतीजों के बाद विजय पाने वाले प्रत्याशी के घर या फिर पार्टी दफ्तर पर दिखती है, लेकिन बीच चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल का जमानत पर तिहाड़ से बाहर आना भी आम आदमी पार्टी जीत की तरह ही देखती है. मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि, 'अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आना पूरे INDIA Alliance के लिए गेमचेंजर साबित होगा. इससे बीजेपी को देशभर में बड़ा नुक़सान होने वाला है.'

अरविंद केजरीवाल का प्रचार कितना बदलाव लाएगा?
केजरीवाल के जेल से बाहर आने पर प्रचार करने के दौरान क्या कुछ होगा, इसे समझें. जब 2019 में केजरीवाल ने पूरी ताकत से प्रचार किया था तब आम आदमी पार्टी का हासिल क्या था ? 

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2019 में आम आदमी पार्टी 
 

सीटों पर चुनाव लड़ी -   35 सीटों पर

सीटें जीतीं - 1 सीट जीती

जमानत जब्त - 30 सीटों पर   

राज्यों में चुनाव लड़ी -   9 राज्यों में 

आम आदमी पार्टी ने 2019 में 30 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किया था. 1 सीट पर 21 से 30 फीसदी वोट हासिल किया, 2 सीट पर 11 से 20 फीसदी वोट हासिल किया, और 7 सीटों पर 10 फीसदी से भी कम वोट मिले थे. इसके अलावा 25 सीटें यानी दिल्ली की 4 और पंजाब की 1 सीट पर सिर्फ आम आदमी पार्टी की जमानत बच पाई थी. दिल्ली और पंजाब जहां अभी केजरीवाल की पार्टी की सरकार है, वहां 2019 का नतीजा देखें तो...


राज्य    चुनाव लड़े   जीते   जमानत जब्त    वोट प्रतिशत 
पंजाब
      13          1          12                     7.46 
दिल्ली       7            0           3                     18.2 

पांच साल पहले आम आदमी पार्टी 35 में से सिर्फ 5 सीटों पर ही जमानत बचा पाई थी. अब पार्टी केजरीवाल के प्रचार से क्या 22 सीटों पर कुछ बदलाव ला सकती है? पार्टी अब तो केजरीवाल के बाहर आने पर बड़े दावे करती है, लेकिन बीजेपी कहती है कि केजरीवाल के बाहर आने से चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. 

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कैसे बदल सकता है AAP के पक्ष में माहौल?
2019 के नतीजों के आधार पर देखें तो एक संभावना ये दिखती है कि अगर केजरीवाल के बाहर आने से कोई भी माहौल नहीं बनता, यानी कोई वोट AAP के पक्ष में स्विंग नहीं होता तो सातों सीट बीजेपी ही जीत सकती है. अगर 6 फीसदी का वोट आम आदमी पार्टी के पक्ष में स्विंग होता है तो इंडिया गठबंधन दो सीट दिल्ली में जीत सकती है, जबकि पांच सीट बीजेपी ही जीत पाएगी.

क्या प्रचार करके ला सकेंगे वोट की आंधी?
तीसरी संभावना देखिए, अगर 2019 के मुकाबले 9 फीसदी वोट AAP के पक्ष में स्विंग हो तो पांच सीट इंडिया गठबंधन पा सकती है और दो सीट बीजेपी. चुनावी आंकड़ों में चौथा विकल्प वोट शेयर के आधार पर कुछ ऐसा है कि अगर 12 फीसदी का वोट 2019 के मुकाबले इस बार आम आदमी पार्टी के पक्ष में स्विंग करे तो दिल्ली में इंडिया गठबंधन सातों सीट जीत सकता है, लेकिन क्या केजरीवाल वोट स्विंग की इतनी बड़ी आंधी अब प्रचार करके ला सकते हैं.

 

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