EXCLUSIVE: जांच के दायरे में हैं पश्चिम बंगाल के  1.3 करोड़ वोटर्स, SIR के पहले चरण में कटे 58 लाख नाम

पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत अब तक 58 लाख से ज्यादा नामों को काट दिया आया है, जिनमें डुप्लिकेट, मृतक और स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता शामिल हैं. वहीं करीब 1.36 करोड़ वोटरों की तकनीकी और मैनुअल जांच जारी है. अब अगले चरण में थ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर नोटिस देंगे.

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पश्चिम बंगाल एसआईआर: जांच के दायरे में हैं 1.3 करोड़ वोटर्स.(File Photo: PTI) पश्चिम बंगाल एसआईआर: जांच के दायरे में हैं 1.3 करोड़ वोटर्स.(File Photo: PTI)

तपस सेनगुप्ता

  • कोलकाता,
  • 18 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:53 AM IST

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के बड़े अभियान में करीब 1.36 करोड़ वोटरों की तकनीकी और मैनुअल जांच चल रही है. स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले फेज में ड्राफ्ट रोल से 58.20 लाख नाम पहले ही हटा दिए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि ये हाल के समय का सबसे सख्त रिवीजन है, जिसका मकसद आने वाले चुनावों से पहले क्लीन वोटर लिस्ट तैयार करना है.

वेस्ट बंगाल के स्पेशल रोल ऑब्जर्वर सुब्रत गुप्ता ने इंडिया टुडे/आजतक को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में ऑपरेशन की डिटेल्स बताईं. उन्होंने कहा कि आयोग ने लगभग 1.36 करोड़ मतदाताओं के डेटा में विसंगतियां पाई हैं. ये आंकड़ा सिर्फ डिलीशन नहीं, बल्कि वेरिफिकेशन के लिए चिह्नित डेटा पूल है. इसमें डेटा कन्वर्जन के दौरान हुए अपलोड एरर, बोनाफाइड और मैनुअल गलतियां शामिल हैं.

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सुब्रत गुप्ता ने कहा कि इस बड़े आंकड़े को देखकर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. ये केवल उन एंट्रीज का एक पूल है, जिनकी अभी बारीकी से जांच की जा रही है. आयोग ये सुनिश्चित कर रहा है कि हर एक मतदाता का सत्यापन हो, ताकि कोई भी वैध मतदाता अपने अधिकार से वंचित न रहे.

क्यों हटाए गए 58 लाख नाम

गुप्ता ने साफ किया कि हटाए गए नामों में डुप्लिकेट एंट्रीज, मृत वोटर और स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुके लोग शामिल हैं. राजनीतिक दलों के अलग-अलग आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थाओं की अपनी-अपनी धारणाएं हो सकती हैं, लेकिन चुनाव आयोग की प्रक्रिया पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ की गई है.

उन्होंने कहा कि ईसीआई का प्रोसेस ड्यू डिलिजेंस के साथ किया गया है. ये सामान्य समरी रिवीजन नहीं, बल्कि इंटेंसिव हाउस-टू-हाउस रिवीजन है जो 2002 को रेफरेंस मानकर किया गया, जिससे ये असाधारण रूप से व्यापक हो गई. हमारा उद्देश्य एक सटीक और त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार करना.

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बेहद जागरूक हैं बंगाल के वोटर्स

गुप्ता ने बताया कि बिहार और बंगाल में प्रोसेस के फंडामेंटल्स एक जैसे हैं, लेकिन बंगाल के वोटर बेहद जागरूक हैं और भागीदारी ज्यादा दिखाई. इसका मकसद एकदम सटीक और फूलप्रूफ इलेक्टोरल रोल तैयार करना है.

घर-घर जाकर नोटिस देंगे BLO

उन्होंने कहा कि अब अगले चरण में लॉजिकल डिस्क्रेपेंसीज के लिए सुनवाई प्रक्रिया होगी. जिसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) नोटिस हैंड-डिलीवर करेंगे. हियरिंग अगले हफ्ते से शुरू होने की उम्मीद है.

उन्होंने बताया कि इस चरण में जेंडर या स्पेलिंग जैसी गलतियां आसानी से ठीक हो जाएंगी, जिनके नाम हट गए हैं, अगर वैध वोटर हैं तो फॉर्म 6, 7 या 8 के साथ एनेक्सचर 4 जमा करके दोबारा एनरोलमेंट करवा सकते हैं.

आयोग के निर्देशों का इंतजार

वहीं, कुछ राजनीतिक दलों द्वारा सुनवाई को कैमरे पर रिकॉर्ड करने की मांग पर गुप्ता ने कहा कि ईसीआई से स्पेसिफिक इंस्ट्रक्शंस का इंतजार है.

उन्होंने अंत में जनता से अपील की कि वैध वोटरों को घबराने की जरूरत नहीं है. मैं सभी स्टेकहोल्डर्स और राजनीतिक दलों का सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं. गुप्ता ने कहा कि ये रेगुलर,  इंटेंसिव एडमिनिस्ट्रेटिव (प्रशासनिक) प्रक्रिया है.

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