निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार में AI यानी कृत्रिम मेधा से बनाए जा रहे फर्जी और भ्रामक कंटेंट पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के अध्यक्ष और महासचिव को पत्र लिखकर कहा है कि चुनावों में AI से बनी सामग्री का “जिम्मेदारी के साथ और पारदर्शी ढंग से” इस्तेमाल किया जाए.
आयोग ने साफ कहा है कि चुनाव प्रचार में एआई द्वारा बनाई गई झूठी या भ्रामक सामग्री, जिसमें नेताओं को झूठे बयानों या घटनाओं में दिखाया जाता है, लोकतंत्र के लिए खतरा है. ऐसा कंटेंट न सिर्फ मतदाताओं को गुमराह करता है, बल्कि समान अवसर के सिद्धांत को भी नुकसान पहुंचाता है. मतदान के दौरान सभी दलों और प्रत्याशियों को निष्पक्ष माहौल देना आवश्यक है, और AI का दुरुपयोग इस विश्वास को तोड़ सकता है.
एआई से बनी झूठी तस्वीरें और वीडियो अब नहीं चल पाएंगे
निर्वाचन आयोग ने कहा कि एआई या डीप फेक तकनीक का गलत इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी पैदा कर सकता है, इसलिए हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करें कि प्रचार के लिए जो भी वीडियो, फोटो या ऑडियो इस्तेमाल किए जाएं. अगर वे “AI-जेनरेटेड” या “डिजिटली एडिटेड” हैं, तो इस बात का स्पष्ट लेबल उस पर होना चाहिए.
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इस लेबल को बड़े और पढ़ने योग्य अक्षरों में दिखाना होगा.
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साथ ही, ऐसी कोई भी सामग्री जो किसी व्यक्ति की आवाज़, चेहरा या पहचान को बिना उसकी अनुमति के “गलत तरीके से पेश करती है”, उसे प्रकाशित या शेयर नहीं किया जा सकता.
गलत कंटेंट दिखा तो 3 घंटे में हटाना होगा
निर्वाचन आयोग ने यह भी आदेश दिया है कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से झूठी एआई सामग्री पोस्ट या शेयर की जाती है, तो उसे रिपोर्ट या नोटिस मिलने के 3 घंटे के भीतर तुरंत हटाना होगा.
साथ ही, सभी राजनीतिक दलों को अपने एआई आधारित प्रचार सामग्रियों का रिकॉर्ड रखना होगा. इसमें उस व्यक्ति या संस्था का नाम और समय दर्ज होना चाहिए जिसने यह सामग्री तैयार की, ताकि बाद में आयोग जांच कर सके.
ये सभी नई गाइडलाइन तुरंत लागू होंगी और अगले आदेश तक सभी आम और उपचुनावों में लागू रहेंगी.
संजय शर्मा