72 साल के किसान ने भरा नामांकन, बोले- समस्याओं से तंग आ गया हूं, अब खुद समाधान करूंगा

लोकतंत्र के इस महापर्व में जब ज्यादातर उम्मीदवार सत्ता और रणनीति की बातें कर रहे हैं, तब एक 72 वर्षीय किसान ने सबको चौंका दिया. खेत-खलिहान की मिट्टी से जुड़ा यह किसान राजनीति में किस्मत आजमा रहा है. कहते हैं- बहुत देख लिया, समस्याएं खत्म नहीं हुईं तो खुद ही मैदान में उतर गया. बुजुर्ग चेहरे पर अनुभव की लकीरें और आंखों में बदलाव की चमक लिए उन्होंने नामांकन के साथ एक वादा किया- शिक्षा फ्री करेंगे, रोजगार देंगे और किसानों को उनका हक दिलाएंगे.

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बुजुर्ग किसान राम स्वारथ प्रसाद ने भरा नामांकन. (Photo: ITG) बुजुर्ग किसान राम स्वारथ प्रसाद ने भरा नामांकन. (Photo: ITG)

सौरभ कुमार

  • बेगूसराय,
  • 18 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:48 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला. उम्र के 72वें पड़ाव पर आंखों में उम्मीद की चमक लिए एक बुजुर्ग किसान ने चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया. उनका नाम है राम स्वारथ प्रसाद, जो खोदावंदपुर प्रखंड के बड़ा खोदावंदपुर गांव के रहने वाले हैं.

राम स्वारथ प्रसाद ने प्रोटेस्ट सर्व समाज पार्टी से मंझौल अनुमंडल कार्यालय पहुंचकर नामांकन दाखिल किया. इस दौरान उनके साथ कुछ समर्थक भी मौजूद थे, जिन्होंने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया. कैमरों के सामने झुकते हुए वे मुस्कुराए, फिर दृढ़ आवाज में बोले- हमने जिंदगी भर किसानों की परेशानियां देखी हैं. शिक्षा, रोजगार, खेती - हर जगह समस्या ही समस्या है. अब बर्दाश्त नहीं हुआ, इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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72 साल के इस बुजुर्ग किसान का मानना है कि समस्याओं पर चर्चा करने से बेहतर है कि उनका समाधान खुद किया जाए. उनका कहना है कि अगर जनता ने उन्हें मौका दिया, तो वे शिक्षा को पूरी तरह फ्री कर देंगे और किसानों को उनका हक दिलाएंगे.

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उन्होंने कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा देना चाहिए. विदेशी सामान का आयात बंद होना चाहिए, ताकि हमारे देश के किसान और मजदूर आत्मनिर्भर बन सकें. हम लघु उद्योग लगाएंगे, ताकि लोगों को गांव में ही रोजगार मिले.

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नामांकन के दौरान राम स्वारथ प्रसाद का जोश देखने लायक था. समर्थकों ने किसान नेता जिंदाबाद के नारे लगाए. कई लोगों ने उनकी उम्र देखकर हैरानी जताई, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि उम्र नहीं, इरादा मायने रखता है. जब तक सांस है, तब तक समाज के लिए कुछ करने की चाह रहेगी.

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उनकी चुनावी घोषणा भी साफ है- वे किसी पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि समस्याओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है. हम स्वतंत्र हैं और जनता के बीच से निकले हैं. इस बार सफल होंगे, क्योंकि जनता के दिल में हमारी बात उतर रही है.

राम स्वारथ प्रसाद के हलफनामे के अनुसार, वे एक किसान हैं, पत्नी के साथ रहते हैं, और राजनीति में नया कदम रख रहे हैं. वे मानते हैं कि राजनीति में आम किसान की आवाज अब दब चुकी है, और उसे फिर से जिंदा करने की जरूरत है.

बेगूसराय की सात विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान होना है. नामांकन के आखिरी दिन इस बुजुर्ग किसान की उम्मीदवारी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया.

भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा कि इतनी उम्र में भी अगर कोई समाज के लिए लड़ सकता है, तो ये अपने आप में मिसाल है. राम स्वारथ प्रसाद की यह उम्मीद, यह लड़ाई और उनका जज्बा शायद आने वाले चुनावों में यह साबित कर दे कि राजनीति केवल सत्ता की नहीं, सेवा की भी होती है.

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