असम: विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मांग- पांच राज्यों में तुरंत लागू हो मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट

असम कांग्रेस प्रमुख गौरव गोगोई ने चुनाव आयोग से मांग की है कि असम, केरल, तमिलनाडु, बंगाल और पुडुचेरी में चुनाव से पहले मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट लागू की जाए. उनका आरोप है कि मैनुअल वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की गुंजाइश ज्यादा है.

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अगले साल असम सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. (File Photo: ITG) अगले साल असम सहित कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • गुवाहाटी,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के चीफ गौरव गोगोई ने गुरुवार को इलेक्शन कमीशन (EC) से अपील की है कि वह असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में होने वाले चुनाव से पहले असेंबली इलेक्शन में मशीन से पढ़ी जा सकने वाली वोटर लिस्ट तुरंत लागू करे.

एजेंसी के मुताबिक, गोगोई ने जोरहाट में रिपोर्टर्स से कहा, "इंडिया दुनिया की IT सुपरपावर है, फिर भी हमारी वोटर लिस्ट बूथ-लेवल ऑफिसर्स हाथ से बनाते हैं और यह पुराना सिस्टम बड़े पैमाने पर मैनिपुलेशन और नकली वोटर्स को शामिल करने का सबसे बड़ा गेटवे बन गया है."

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बार-बार मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट की मांग की है, क्योंकि सिर्फ़ टेक्नोलॉजी ही आखिरी वक्त में होने वाले फ्रॉड को रोक सकती है, जिन्हें वोटिंग खत्म होने के बाद पता लगाना या साबित करना नामुमकिन होता है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब वक्त आ गया है कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर जनता को बताएं कि भारत में अभी भी मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट क्यों नहीं हैं.

'बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल...'

कांग्रेस नेता ने सवाल करते हुए कहा, ''चुनाव आयोग सेंट्रली अवेलेबल एडवांस्ड सॉफ्टवेयर से क्यों बच रहा है और एक मैनुअल प्रोसेस पर निर्भर क्यों है, जिसका बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल होने का खतरा है?'' गोगोई ने कहा कि उनकी पार्टी असम और चुनाव वाले सभी दूसरे राज्यों में आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह से मशीन से पढ़े जा सकने वाले वोटर रोल को तुरंत शुरू करने की मांग करती है.

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लोकसभा में विपक्ष के डिप्टी लीडर ने कहा कि वोटर लिस्ट का पूरा डिजिटाइज़ेशन और सेंट्रलाइज़्ड सॉफ्टवेयर-बेस्ड तैयारी और वेरिफिकेशन भी होना चाहिए, जिससे मैनुअल दखल खत्म हो सके. उन्होंने आगे कहा, "उन टेक्निकल कारणों (अगर कोई हों) को भी पब्लिक में बताया जाना चाहिए, जो चुनाव आयोग को ज़्यादातर मॉडर्न डेमोक्रेसी में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किए जाने वाले मशीन से पढ़े जा सकने वाले फॉर्मेट अपनाने से रोक रहे हैं."

उन्होंने कहा कि ड्राफ़्ट पब्लिकेशन स्टेज के बाद वोटर रोल में हर बदलाव, हटाने या जोड़ने के लिए एक सख्त ऑडिट ट्रेल भी किया जाना चाहिए. गोगोई ने ज़ोर देकर कहा कि वोट की ईमानदारी की रक्षा करना किसी भी संवैधानिक अथॉरिटी का पहला फ़र्ज़ है.

उन्होंने कहा, "सेंट्रल हॉल के अंदर प्रस्तावना पढ़ना बेकार है, अगर हम यह गारंटी नहीं दे सकते कि डाला गया हर वोट एक असली नागरिक का है. मशीन से पढ़ी जा सकने वाली वोटर लिस्ट कोई चॉइस नहीं है, वे अब इंडियन डेमोक्रेसी को सिस्टमैटिक इरोजन से बचाने के लिए एक राष्ट्रीय ज़रूरत हैं."

'हम ऐसा नहीं होने देंगे...'

असम में SIR पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा कहते हैं, "यह भारत के वोटरों के अधिकारों पर पूरी तरह से हमला है. हम ऐसा नहीं होने देंगे. जहां तक ​​बिहार की बात है, हमने बहुत सारे सवाल उठाए हैं, सिर्फ़ नतीजों के बाद ही नहीं, बल्कि चुनाव से पहले भी. राहुल जी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' शुरू की और कई ऐसे सवाल उठाए, जिनका जवाब नहीं मिला. उन्होंने हरियाणा, कर्नाटक और बिहार से EC की गलतियों के सबूत दिखाए."

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