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आनंद कुमार: 'सुपर 30' का असली हीरो, कम फिल्मी नहीं है इनकी कहानी

मानसी मिश्रा
  • 10 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 6:12 PM IST
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ऋतिक रोशन की मुख्य भूमिका वाली 'सुपर 30' फिल्म 12 जुलाई को रिलीज हो रही है. इसके साथ ही चर्चा में हैं बिहार के शिक्षक प्रो आनंद कुमार. फिल्म की कहानी आनंद कुमार और उनके कोचिंग संस्थान के छात्रों से प्रेरित है. आनंद कुमार अपनी कोचिंग सुपर 30 से 2002 से सुर्खियों में आए थे. उनके 17 साल के इस सफर के तमाम उतार-चढ़ाव भी रहे. उनके जीवन के एक पड़ाव में विवादों का सिरा भी है. आइए पढ़ें उनके पूरे सफर के बारे में.
फोटो: anandkumar_official

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आनंद कुमार के शुरुआती जीवन की बात करें तो उन्होंने अपने तमाम इंटरव्यू में बताया है कि किस तरह उनका कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन हुआ और फीस के कारण वो जा नहीं सके. इसी दौरान उनके पिता का देहांत भी हो गया. पिता की मौत के बाद उन्हें सरकार की ओर से क्लर्क के पद पर अनुकंपा पर नौकरी मिल रही थी. लेकिन वो इस नौकरी में नहीं सिमटना चाहते थे. वो अपना सपना पूरा करना चाहते थे.

फोटो क्रेडिट: Reliance Entertainment

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आनन्द कुमार का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. उनके पिता भारतीय डाक विभाग में क्लर्क थे. कमाई ज्यादा न होने के चलते वो आनंद कुमार को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा पाए. प्रो आनंद ने हिंदी मीडियम से सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया. गणित में उनकी इतनी अच्छी पकड़ थी कि ग्रेजुएशन के दौरान ही उनके पेपर मैथमैटिकल स्पेक्ट्रम और द मैथमैटिकल गजट में प्रकाशित हुए, यहां से उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला. लेकिन आर्थ‍िक तंगी के कारण वहां जा नहीं सके.

फोटो: anandkumar_official

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पारिवारिक माहौल की बात करें तो आनंद कुमार के अनुसार उनकी मां घर पर पापड़ बनाती थीं जिससे घर का खर्च चलता था. वो पढ़ाई के साथ लोगों को ट्यूशन देने का काम करते थे. शाम को वो मां के साथ सड़कों पर पापड़ बेचते थे. सुपर 30 फिल्म का पापड़ वाला एक पोस्टर भी आपको याद होगा जिसमें रितिक रोशन पापड़ बेचते हुए नजर आए थे. आनंद कुमार का भी कहना है कि उन्होंने घर खर्च के लिए सड़कों पर पापड़ बेचे थे.

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फिर साल 1992 में आनंद कुमार ने 500 रुपए प्रतिमाह किराये से एक कमरा लेकर अपनी कोचिंग शुरू की. इस कोचिंग में स्टूडेंट इंटरेस्ट जता रहे थे. देखते ही देखते 3 साल में करीब 500 छात्र-छात्राओं ने उनकी कोचिंग में एडमिशन लिया. वो बताते हैं कि किस तरह साल 2000 में सुपर 30 का ख्याल आया. इसके पीछे की कहानी यूं थी कि उस साल एक गरीब परिवार का स्टूडेंट उनके पास आया था. वो IIT JEE करना चाहता था. लेकिन फीस और खर्च की बात सुनकर परेशान हो गया. उसी वक्त आनंद कुमार ने सुपर 30 की नींव डालने की ठान ली. फिर 2002 में आनंद कुमार ने सुपर 30 प्रोग्राम की शुरुआत की. यहां गरीब बच्चों को IIT-JEE  की मुफ्त कोचिंग दी जाने लगी.

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इस कोचिंग में ऑल इंडिया लेवल पर पिछड़े वर्ग के 30 बच्चों को लेकर पढ़ाना शुरू किया. इस कोचिंग में पढ़ने वाले 30 बच्चों में से पूरे या अधिकतम आईआईटी में सेलेक्ट होने लगे. धीरे-धीरे ये कोचिंग संस्थान देश भर में मशहूर होने लगा. टेलीविजन कार्यक्रमों से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक हर जगह आनंद कुमार ही दिखने लगे. बताया जाता है कि उनके सुपर 30 कोचिंग संस्थान का संचालन उनकी कोचिंग रामानुजन के प्रॉफिट से होता है. फिलहाल 17 साल के इस सफर में कई विवाद भी उनकी कोचिंग के साथ जुड़े.

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सुपर 30 की सफलता की बात करें तो मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर तीन घंटे लम्बा कार्यक्रम दिखाया. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी लेख लिखा. उन पर एक शार्ट फिल्म भी बनी. इसके बाद बॉलीवुड में भी उनकी कहानी एंट्री कर रही है. अपने काम के बारे में वो आईआईएम, आईआईटी सहित देश -विदेश के मशहूर संस्थानों में भाषण दे चुके हैं. लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज है.


फोटो क्रेडिट: Reliance Entertainment

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सुपर 30 को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित वर्तमान राष्ट्रपति तक सम्मानित कर चुके हैं. हाल ही में उन्हें जर्मनी के सैक्सोनी प्रान्त के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया गया था. उनको राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार भी दिया था. उनके काम को पूरी दुनिया में सराहा जा चुका है.

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