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बर्थडे विश से लेकर लेट नाइट वर्क तक, ऐसी है इन अफसरों की लाइफ

मानसी मिश्रा
  • 12 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST
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कहते हैं एक चुनी हुई सरकार की कामयाबी जिन मेधावी कंधों पर होती हैं, वे राज्य के प्रशासन की धुरी होते हैं. ये वो लोग होते हैं, जो सरकार की मंशा को जमीन पर उतारने का काम करते हैं. उत्तर भारत के यूपी, बिहार, राजस्थान और दिल्ली में प्रशासन संभालने वाले इन अफसरों को मैगजीन ने अलग-अलग कैटेगरी में रखा है. सरकारी तंत्र के महारथी ये वो IAS अफसर हैं, जिन्हें इंडिया टुडे मैगजीन ने उत्तर भारत के दिग्गजों की श्रेणी में जगह दी है. सरकारी तंत्र के इन महारथियों का हाथ  इन राज्यों में सरकारों की कामयाबी के पीछे गिना जाता है. आइए जानें हिंदी भाषी राज्यों में कामकाज की बागडोर संभाल रहे इन दिग्गजों के बारे में.
फोटो: दीपक कुमार, अवनीश कुमार अवस्थी, अनिल बैजल, देवेंद्र गुप्ता (बाएं से दाएं)

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अनिल बैजल: सख्त प्रशासक, भाता है सफेद रंग
(उप राज्यपाल दिल्ली)
दिल्ली का उप राज्यपाल बनते ही 72 वर्षीय अनिल बैजल का चुनौतियां इंतजार कर रही थीं. दिल्ली सरकार और एलजी के बीच शक्त‍ियों के बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले उन्होंने बेहतरीन संतुलन का परिचय दिया. उनकी तैनाती उनसे पहले एलजी रहे नजीब जंग के बाद हुई थी. साल 1969 में IAS ज्वॉइन करने वाले बैजल ने केंद्रीय गृह सचिव, डीडीए उपाध्यक्ष, चेयरमैन और एमडी-इंडियन एअरलाइंस जैसे कई पदों पर रहते हुए प्रशासन की बारीकियां जानीं.

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दिल्ली सरकार के एलजी ऑफिस पर धरने के दौरान उन्होंने दबाव में आए बगैर काम किया. गृह सचिव रहते हुए उन्होंने कई कठोर फैसले लिए थे. प्रसार भारती का सीईओ रहते हुए भी उल्लेखनीय काम किया. डीडी भारती को प्रस्तुत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है. उनके बारे में खास बात ये है कि वो अनुशासन प्रिय सख्त प्रशासक हैं, सफेद रंग से खास लगाव है.

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अवनीश कुमार अवस्थी: हरफनमौला अफसर, कैमरे से है लगाव
(अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश)
54 वर्षीय अवनीश कुमार अवस्थी यूपी के इकलौते अफसर हैं जो सूचना विभाग, गृह विभाग के साथ उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण यूपीडा के सीईओ के रूप में इतनी सारी जिम्मेदारियां एक साथ उठा रहे हैं. वो वर्तमान में निर्माणाधीन देश के सबसे लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे की योजना को जमीन पर उताने की रणनीति के मुख्य आर्किटेक्ट हैं.

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वो यूपी में पुलिस की छवि बदलने की योजना के प्रमुख सूत्रधार हैं. थानों की दशा बदलने, जेल की व्यवस्था में सुधार लाने, ज्यादा से ज्यादा तकनीकों का इस्तेमाल करके पुलिस को सक्षम बनाने में जुटे हैं. कैमरे के कद्रदान अवनीश अवस्थी समय मिलने पर फोटोग्राफी करके अपनी थकान मिटाते हैं.

फोटो: उत्तर प्रदेश सिटी व्यू
Image credit: Abhijeet Vardhan-Flickr

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दीपक कुमार: भरोसेमंद साथी, नहीं भूलते जन्मदिन पर विश करना
(मुख्य सचिव, बिहार)
बिहार के मुख्यमंत्री ने 59 वर्षीय दीपक कुमार को खासतौर से चुना है. जब नीतीश कुमार को बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्य सचिव के पद पर रहने अफसरों में से एक और अपने भरोसेमंद नौकरशाह अंजनी कुमार सिंह को उत्तराधिकारी चुनना था तो मई 2019 में उन्होंने दीपक कुमार को ये जिम्मेदारी दी. 1984 बैच के IAS अफसर को बिहार में चुनौतीपूर्ण कार्यभार संभालने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के प्रमुख के रूप में उनकी जिम्मेदारी छोड़ने के लिए मनाया गया था.

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मुख्य सचिव रहते हुए उन्होंने ये सुनिश्चित किया है कि शीर्ष सरकारी अधिकारी प्रमुख सचिवों से लेकर जिलाधिकारियों तक और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से  लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (SSP/SP) तक हर शुक्रवार को आमलोगों से मिलने का समय निकालें. वो पीवी सिंधु के फैन हैं, हर दिन बैडमिंटन खेलते हैं. उन्होंने अपने सभी सहकर्मियों का जन्मदिन अपने मोबाइल में सेव करके रखा है, उस खास दिन उन्हें फूल जरूर भेजते हैं.

फोटो: बिहार सेक्रेटिएट बिल्डिंग एरियल व्यू

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देवेंद्र गुप्ता: कुशल पथ प्रदर्शक, लंबे समय तक करते हैं काम
(अपर मुख्य सचिव, राजस्थान)
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुरानी परिपाटी को तोड़ते हुए 59 वर्षीय देवेंद्र गुप्ता को मुख्य सचिव बनाए रखा. हालांकि वो भाजपा सरकार में अहम पदों पर थे. मुख्य सचिव के रूप में उनका बहुत सम्मान है. उनके बहुत कम शत्रु हैं. उनमें नौकरशाहों को गाइड करने की क्षमता है. जिससे वो किसी भी मुश्किल परियोजना में अड़चनें खड़ी करने के बजाय उसे पूरा करने के लिए रास्ता बनाते हैं.

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सीएम गहलोत को उनकी कोई भी गलत फैसला न लेने की क्षमता पर पूरा भरोसा है. उनके बारे में खास बात ये है कि वो लंबे समय तक दफ्तर में काम करते हैं. कर्मचारियों की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उनकी छवि ऐसे अधिकारी की है जो मदद के लिए तत्पर रहते हैं.

फोटो: राजस्थान सिटी व्यू
Image credit: fabiogrigri70

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