मोहनदास करमचंद गांधी ऐसा महात्मा जो व्यक्ति से ऊपर उठकर एक विचारधारा बन गया. वो महात्मा जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ा गया. आज उनकी 150वीं जयंती पर आइए जानते हैं कि कैसे दुनिया में महान कहे गए लोग भी गांधी से मिलकर खुद को धन्य मानते थे. आइंस्टीन, ओशो, मार्टिन लूथर किंग सहित दुनिया भर की तमाम महान हस्तियां गांधी विचारधारा पर गर्व करती थीं. तस्वीरों में देखें बापू के साथ गौरवान्वित महसूस करते दुनिया के ये मशहूर लोग.
महात्मा गांधी जहां अल्बर्ट आइंस्टीन की तारीफ करते नहीं थकते थे, वहीं आइंस्टीन गांधी को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक रोल मॉडल कहते थे. गांधी के बारे में लिखते हुए आइंस्टीन ने कहा है कि मेरा मानना है कि गांधी के विचार हमारे समय के सभी राजनीतिक पुरुषों में सबसे प्रबुद्ध थे.
(बर्मा के तत्कालीन प्रधानमंत्री)
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हास्य की दुनिया के सुपर स्टार रहे चार्ली चैपलिन ने साल 1931 में महात्मा गांधी से मुलाकात की थी. एक बेहद मुश्किल भरे बचपन के बाद सफलता की सीढ़ियां चढ़ने वाले चार्ली चैपलिन साल 1931 तक दुनिया के सबसे लोकप्रिय फिल्म स्टार के तौर पर शुमार हो चुके थे.
(महात्मा गांधी के ठीक दाहिने बैठे हैं चार्ली चैपलिन)
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सिर्फ आइंस्टीन ही नहीं नेल्सन मंडेला जो दक्षिण अफ्रीकी लोगों के महान नेता थे. वो 20 वीं शताब्दी के उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष के दिग्गज थे. उन्होंने भी हमेशा महात्मा गांधी के विचारों को सराहा.
फोटो: गांधी के साथ एक प्रदर्शन में मौलाना आजाद बीच में, ठीक किनारे आचार्य कृपलानी
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मंडेला अक्सर महात्मा गांधी को उनके सबसे महान शिक्षकों में से एक के रूप में उद्धृत किया करते थे. उन्होंने कहा है कि गांधी के विचारों ने दक्षिण अफ्रीका के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. गांधी जी की शिक्षा की बदौलत ही अफ्रीका से रंगभेद को दूर किया गया.
(महात्मा गांधी के साथ रवींद्र नाथ टैगोर)
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इसी तरह मार्टिन लूथर किंग भी महात्मा गांधी को बहुत मानते थे. उनका कहना था कि मसीहा ने हमें लक्ष्य और महात्मा गांधी की रणनीति दी.
(महात्मा गांधी के साथ मो अली जिन्ना)
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वहीं मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने गांधी के बारे में कहा कि संयुक्त राज्य
अमेरिका में प्रिय नागरिक अधिकार वाले नेता, जिन्होंने लाखों अफ्रीकी -अमेरिकियों की लड़ाई में मदद के लिए अहिंसा का विकल्प दिया.
(महात्मा गांधी के साथ सुभाष चंद्र बोस)
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यूं ही वो इन महान हस्तियों के नायक नहीं बने. गांधी से महात्मा बनने का सफर दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ था. जहां गाधी जी एक सफल आंदोलन के बाद स्वदेश लौटे थे. भारत आने के बाद मोहनदास गांधी और कस्तूरबा ने तय किया कि वो रेलवे के थर्ड क्लास के डिब्बे से पूरे भारत का भ्रमण करेंगे.
(ब्रिटिश लेबर पॉलिटिशियन पेथविक लॉरेंस महात्मा गांधी के साथ, साल 1946)
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ये वो पहली यात्रा थी जिससे उन्होंने अपने देश को देखा था. देश की गरीबी और आबादी को करीब से देखा तो उन्हें सदमा सा लगा. इसी यात्रा के दौरान गांधी ने तय किया कि वो अंग्रेज़ हुकूमत के लाए हुए काले कानून रौलट एक्ट का विरोध करेंगे.
(फोटो: लेबर पार्टी के नेता Stafford Cripps ने 1942 में गांधी से की थी मुलाकात)
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रौलट एक्ट उस वक्त का ऐसा काला कानून बना था जिसका सरकार जमकर इस्तेमाल कर रही थी. इस कानून के तहत सरकार को ये ताकत मिल गई थी कि वो किसी भी नागरिक को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकती थी.
देश की स्वतंत्रता पर बातचीत करते महात्मा गांधी और Lieutenant Colonel De M.S. Fraser (left), political aide to the Secretary of State for India
पहली बार ऐसा हुआ जब सिर्फ गांधी के आह्वान पर रौलट एक्ट के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए थे. सैकड़ों लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे थे, ये प्रदर्शन देश के तमाम शहरों में होने लगे थे.
Photo: Gandhi meets visiting Ex-President Herbert Hoover of the USA. in Delhi 1946.
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लोगों के प्रतिरोध को देखते हुए ब्रिटिश शासन भड़क गया था. अमृतसर में तो जनरल डायर ने हजारों लोगों की भीड़ पर गोलियां चलवा दी थीं, जिसमें बताया जाता है कि करीब 400 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस हत्याकांड के बाद देश में आजादी का आंदोलन तेज हो गया था, गांधी जी का इसको पूरा श्रेय जाता है.
Photo: Lord Listowel, Secretary of State for Burma, at Government House, New Delhi.
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