कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के विरोध के बीच गुजरात सरकार ने आज गुजरात पब्लिक यूनिवर्सिटी बिल 2023 को विधानसभा मे बहुमत से पारित किया है. गुजरात के 11 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के लिए नए प्रावधानों के साथ विधेयक लाया गया था जिसे आज सरकार ने बहुमत से पारित किया.
नए कानून मे क्या है प्रावधान.....
क्यों हो रहा है विरोध?
कांग्रेस का आरोप है कि सार्वजनिक विश्वविद्यालयों से संबंधित गुजरात पब्लिक यूनिवर्सिटी बिल 2023 के जरिये सरकार विश्वविद्यालयों की आजादी छीन रही है. कांग्रेस का कहना है कि इस कानून से विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व भी खत्म होगा और साथ ही सेनेट - सिंडिकेट व्यवस्था भी चौपट हो जाएगी. इस विधेयक से प्रोफेसर यूनिवर्सिटी के अलावा दूसरी किसी जगह अपने ज्ञान का लाभ नहीं दे पाएंगे और ना ही किसी सामाजिक मुहिम मे जुड़ पाएंगे.इससे पहले छात्रों और प्रोफेसर भी इसका विरोध कर चुके है जिसे सरकार ने राजनैतिक विरोध बताया था. सबसे बड़ा आरोप है कि इस कानून से यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा.
विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर क्या कहती है गुजरात सरकार?
वहीं सरकार का कहना है कि हम यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप लाए है और इससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता बढ़ेगी. गुजरात सरकार ने दावा किया है कि पारदर्शी प्रशासन का उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित करते हुए, अधिनियम का प्रारंभिक मसौदा 15 दिनों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया और सुझाव आमंत्रित किए गएँ. 140 हितधारकों से कुल 238 सुझाव प्राप्त हुए. जिनमें से 30 सुझावों को अधिनियम में संशोधित किया गया हैऔर 40 सुझावों को क़ानून या अध्यादेश में शामिल किया जाएगा. अन्य सुझाव एसे हैं जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं या नीतिगत बदलाव के सुझाव हैं.
ब्रिजेश दोशी