National Education Day 2023: देश में जिनकी वजह से हैं IIT और UGC, जानिए कौन हैं मौलाना आजाद?

National Education Day 2023: शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद के समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.

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Maulana Abul Kalam Azad, 1888-1958 (Alamy photo) Maulana Abul Kalam Azad, 1888-1958 (Alamy photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

National Education Day 2023: हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है. स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद् और भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जंयती के मौके पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. उस समय शिक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय था. अबुल कलाम गुलाम मोहिद्दीन खैरुद्दीन को मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जाना जाता है. 

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद के समर्पण को ध्यान में रखते हुए, 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था. आजाद को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

12 साल की उम्र में निकाली थी पत्रिका
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था. उनके पिता का नाम मौलाना खैरुद्दीन और मां का नाम आलिया था. मौलाना अबुल आजाद अरबी, फासरी, तुर्की और उर्दू के अच्छे जानकार थे. उन्होंने 12 साल की उम्र में 'नैरंग-ए-आलम' पत्रिका शुरू की थी और 13 साल की उम्र में उन्होंने साहित्यिक आलोचना पर लेख लिखे थे, जिनके लिए उन्होंने एक जानकार, शायर और बुद्धिजीवी के तौर पर तारीफ मिली थी.

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ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ खोला था मोर्चा
उन्होंने 1912 में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने के लिए उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल शुरू की थी. अल-हिलाल पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने एक और साप्ताहिक पत्रिका अल-बगाह शुरू की. कलाम ने भारत की शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कलाम ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास किया.

मौलाना आजाद की ही देन हैं IIT और UGC
आजाद ने महिलाओं की शिक्षा की पुरजोर वकालत की. उन्होंने आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया और अंग्रेजी भाषा पर जोर देने को भी कहा. हालांकि उनका मानना था कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए. शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की स्थापना की गई थी. इसके अलावा उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी, साहित्य अकादमी के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद सहित प्रमुख सांस्कृतिक, साहित्यिक अकादमियां भी स्थापित कीं. मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 22 फरवरी 1958 को अपनी आखिरी सांस ली.

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