15 नवंबर 1867 को न्यूयॉर्क शहर में पहला स्टॉक टिकर पेश किया गया. टिकर के आने से निवेशकों को शेयरों की अप-टू-मिनट कीमतें उपलब्ध की जाने लगी. इस टिकर ने एक तरह से शेयर बाजार में क्रांति ला दी. इससे पहले न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, जो 1792 से अस्तित्व में है, स्टॉक और शेयरों की जानकारी निवेशकों को मेल या मैसेंजर के जरिए भेजता था.
स्टॉक टिकर शेयरों की कीमत की लगातार बदलती, अपडेट की गई रिपोर्ट है. ये हमेशा अपडेट की जाती हैं और रियल टाइम में लाइव कीमतें पूरे ट्रेडिंग अवधि में दिखाई देती हैं. आज के जमाने में ये बहुत ही आम बात है. क्योंकि डिजिटल टिकर पर सभी स्टॉक एक्सजेंच और कंपनियों के शेयरों के घटते-बढ़ते ग्राफ हम आसानी से देश सकते हैं. लेकिन आज से करीब 157 साल पहले ऐसा नहीं था.
एडवर्ड कैलाहन के दिमाग की उपज थी टिकर
वॉल स्ट्रीट पर टिकर लगाने का आइडिया एडवर्ड कैलाहन के दिमाग की उपज थी. उन्होंने पेपर टेप की धाराओं पर स्टॉक कोट्स को प्रिंट करने के लिए एक टेलीग्राफ मशीन को कॉन्फिगर किया था. इस टिकर ने निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की. इसका नाम इसके टाइप व्हील की टिक-टिक की आवाज के कारण 'टिकर' पड़ा.
ऐसे काम करती थी पहली टिकर
एडवर्ड ए. कैलाहन द्वारा निर्मित इस मशीनों में लेन-देन का विवरण देने वाली पेपर स्ट्रीप एक पतले पहिए में लगे थे. इसे टेप कहा जाता था. इसी टेप पर अपडेटेड रिपोर्ट मुद्रित होती थी. इससे रिपोर्ट क्लर्कों को दी जाती थी, जो उन्हें न्यूमेटिक ट्यूब के जरिए टाइपिस्टों तक पहुंचाते थे.
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तब से अब तक काफी बदल गया है टिकर का स्वरूप
आखिरी मैकेनिकल स्टॉक टिकर 1960 में शुरू हुआ और अंततः इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले वाले कम्प्यूटरीकृत टिकर भी आ गया. एक टिकर स्टॉक का प्रतीक दिखाता है कि उस दिन कितने शेयरों का कारोबार हुआ है और प्रति शेयर कीमत क्या है. साथ ही यह ये भी बताता है कि पिछले दिन के कारोबार खत्म होने के मूल्य से कीमत में कितना बदलाव आया है.
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प्रमुख घटनाएं
15 नवंबर, 2000 को बिहार से 18 जिलों को अलग करके झारखंड राज्य बना था. भारत की संसद ने 2 अगस्त, 2000 को बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित किया था.
15 नवंबर को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. इसे गुरुपर्व के नाम से भी जाना जाता है.
15 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे और इस अपराध में उसका साथ देने वाले नारायण दत्तात्रेय आप्टे को फांसी दी गई थी.
15 नवंबर 1875 को भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था.
सिद्धार्थ भदौरिया