3 नवंबर: 66 साल पहले जब एक डॉगी बनी थी पहली अंतरिक्ष यात्री, जानें स्पेस में उसका क्या हुआ

आज 3 नवंबर है. अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान के लिहाज से आज का दिन काफी मायने रखता है. क्योंकि आज के दिन ही पहली बार किसी जीवित जीव को अंतरिक्ष में भेजा गया था. यह एक डॉगी थी. जानें तब क्या हुआ था.

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जब एक कुत्ता बना अंतरिक्ष यात्री (Getty) जब एक कुत्ता बना अंतरिक्ष यात्री (Getty)

सिद्धार्थ भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

3 नवंबर 1957 को अंतरिक्ष युग की शुरुआत करने के एक महीने से भी कम समय बाद, सोवियत संघ ने स्पुतनिक 2 के लॉन्च के साथ अगला बड़ा कदम उठाया. इस बार सैटेलाइट के साथ अंतरिक्ष में पृथ्वी से जीवित जीव को भेजने का फैसला किया गया. हालांकि, उस समय इस मिशन में काफी कमियां थी. 

इसके बाद स्पुतनिक 2 में एक डॉगी को बैठाकर स्पेस में भेजा गया. पृथ्वी से स्पेस में जाने वाला यह पहला जीवित जीव था. इसका नाम  लाइका था. लाइका पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली पहली जानवर थी. इस घटना ने संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को सुसज्जित करने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया.

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अमेरिका ने भी अपने स्पेस मिशन का शुरू किया विस्तार
भविष्य के मानवयुक्त अंतरिक्ष यान केंद्र के निदेशक रॉबर्ट गिलरूथ ने इतिहासकारों से कहा -जब मैंने एक डॉगी को ऊपर जाते देखा, तो मैंने कहा, 'हे भगवान, हमें आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि यह मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने का एक वैध कार्यक्रम होने जा रहा है.

लाइका को वापस लाने की नहीं बन पाई योजना
स्पुतनिक 2 का वजन 508 ​​किलोग्राम था, जो इसके पूर्ववर्ती सैटेलाइट से काफी अधिक था.  यह कक्षा में पहुंचने के बाद अपने बूस्टर रॉकेट से जुड़ा रहा. उस समय रॉकेट साइंस उतना विकसित नहीं हो पाया था. साथ ही इस मिशन में भी कई खामियां थी. इसलिए लाइका को पुनः धरती पर लाने की कोई योजना नहीं बन पाई थी. 

स्पेस में पहुंचने के कुछ ही घंटों बात हो गई थी लाइका की मौत
इंजीनियरों ने लंबे मिशन के लिए पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली को डिजाइन नहीं किया था और यह आशंका है कि लाइका कक्षा में पहुंचने के बाद केवल कुछ घंटों तक जीवित रहा. 10 नवंबर को, उपग्रह की बैटरियां समाप्त हो गईं, और विज्ञान प्रयोगों से डेटा प्राप्त करना भी बंद हो गया. 14 अप्रैल, 1958 को पुनः प्रवेश करते समय स्पुतनिक 2 जल गया.

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ऐसे इंसानों के स्पेस में जाने का रास्ता हुआ तैयार
सोवियत संघ इसके बाद दूसरे जानवरों को ऊपरी कक्षा में भेजने में लगभग तीन साल लग गए. इस बार पूरे "चालक दल" को सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया गया, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी में पहला कदम था.

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प्रमुख घटनाएं
3 नवंबर, 1943 को जर्मन सेना ने मजदनेक शहर के यातना शिविर में यहूदी नरसंहार (होलोकॉस्ट) की शुरुआत की थी. 

3 नवंबर, 1948 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपना पहला भाषण दिया था. 

3 नवंबर, 2004 को अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश दूसरी बार अमरीका के राष्ट्रपति चुने गए थे. 

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