टाटा-लॉकहीड मार्टिन ने बनाया C-130 सुपर हर्क्यूलिस विमान 250वां पूंछ हिस्सा

लॉकहीड मार्टिन और टाटा ने बड़ा कीर्तिमान बनाया है. हैदराबाद में बना C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान का 250वां पूंछ हिस्सा (एम्पेनेज) अमेरिका भेजा गया. 2010 से चल रही इस जॉइंट वेंचर ने भारत को वैश्विक एयरोस्पेस चेन का अहम हिस्सा बना दिया. मेक इन इंडिया को बढ़ावा, सैकड़ों नौकरियां और दुनिया के 23 देशों की वायुसेना को मजबूती मिली.

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हिडंन एयरबेस पर खड़े सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस विमान. (File Photo: AFP) हिडंन एयरबेस पर खड़े सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस विमान. (File Photo: AFP)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

अमेरिकी रक्षा कंपनी लॉकहीड मार्टिन और टाटा ग्रुप की संयुक्त कंपनी ने बड़ा कीर्तिमान बना दिया है. भारत में बने C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान का 250वां पूंछ हिस्सा (एम्पेनेज) पूरा करके अमेरिका भेज दिया गया.

यह पूंछ हिस्सा हैदराबाद स्थित टाटा लॉकहीड मार्टिन एयरोस्ट्रक्चर्स लिमिटेड (TLMAL) फैक्ट्री में बनाया गया है. TLMAL साल 2010 में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और लॉकहीड मार्टिन की जॉइंट वेंचर कंपनी के रूप में शुरू हुई थी.

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C-130J का यह एम्पेनेज विमान के लिए बहुत जरूरी होता है. इसमें ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं की पूंछ (हॉरिजॉन्टल और वर्टिकल स्टेबलाइजर) शामिल होती है, जो उड़ान के दौरान विमान को स्थिर और नियंत्रित रखती है.

हैदराबाद में बना यह हिस्सा अब जहाज से अमेरिका के जॉर्जिया राज्य स्थित लॉकहीड मार्टिन की फैक्ट्री में जाएगा, जहां इसे पूरा C-130J विमान बनाकर दुनिया के अलग-अलग देशों की वायुसेना को दिया जाएगा. 

लॉकहीड मार्टिन के वाइस प्रेसिडेंट रॉड मैकलीन ने कहा कि 250वां पूंछ हिस्सा भारत-अमेरिका की गहरी दोस्ती और सहयोग का प्रतीक है. भारत अब वैश्विक एयरोस्पेस सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बन चुका है. हमारे भारतीय साथियों की गुणवत्ता और सटीकता की वजह से ही दुनिया के 23 देशों की वायुसेना को भरोसेमंद C-130J मिल पा रहा है.

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भारत को क्या फायदा?

  • मेक इन इंडिया को जबरदस्त बढ़ावा.
  • भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता बढ़ रही है.
  • हैदराबाद में सैकड़ों हाई-स्किल नौकरियां.
  • भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन दुनिया के सबसे उन्नत विमान पार्ट्स बना रहे हैं.

C-130J सुपर हरक्यूलिस के बारे में

यह दुनिया का सबसे भरोसेमंद सैन्य परिवहन विमान है. भारत ने 2011 में पहला C-130J लिया था. भारतीय वायुसेना इसके जरिए लद्दाख की ऊंची एयरस्ट्रिप दौलत बेग ओल्डी पर लैंडिंग से लेकर रात में खराब मौसम में भी ऑपरेशन कर चुकी है.

दुनिया भर में 560 से ज्यादा C-130J उड़ रहे हैं. इन्होंने 30 लाख घंटे से ज्यादा उड़ान भरी है. ये विमान राहत कार्य, सैन्य माल ढोना, स्पेशल ऑपरेशन, समुद्री निगरानी, हवाई ईंधन भराई – हर काम करते हैं.

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