World Exclusive: पुतिन ने बताया- KGB, CIA या मोसाद में से कौन है बेस्ट, सोवियत संघ के एकीकरण के सवाल पर बोले- कतई नहीं

आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन से खास बातचीत की. आज तक को दिए वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पुतिन से जब खुफिया एजेंसियों की कार्यशैली और खासकर उनके ‘KGB कनेक्शन’ पर बात की गई, तो जानें उन्होंने कैसे जवाब दिया?

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राष्ट्रपति पुतिन खुद भी KGB के एजेंट रह चुके हैं (फोटो-ITG) राष्ट्रपति पुतिन खुद भी KGB के एजेंट रह चुके हैं (फोटो-ITG)

अंजना ओम कश्यप / गीता मोहन

  • मॉस्को,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

Putin Exclusive Interview: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंच चुके हैं. पूरी दुनिया की निगाहें उनके भारत दौर पर लगी हैं. भारत आने से ठीक पहले पुतिन ने रूस की राजधानी मॉस्को के क्रेमलिन में आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन से खास बातचीत की. आज तक को दिए वर्ल्ड एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पुतिन से जब खुफिया एजेंसियों की कार्यशैली और खासकर उनके ‘KGB कनेक्शन’ पर बात की गई, तो उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ अपना जवाब दिया. चलिए जानते हैं पुतिन ने अपनी एजेंसी KGB का ज़िक्र आते ही क्या कहा?

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गीता- भू-राजनीति की बात तो हो गई. अब कुछ बात आपकी भी कर लेते हैं. आपका KGB से पुराना नाता रहा है, आज आप विश्व की खुफिया एजेंसियों को कैसे रेट करते हैं? आप किस एजेंसी को बेहतर मानते हैं, मुझे पता है आप रूस की एजेंसी कहेंगे लेकिन आपके हिसाब से दूसरी सबसे श्रेष्ठ एजेंसी कौन है, CIA कैसी है?

पुतिन- देखिए विश्व में कई शक्तिशाली खुफिया एजेंसियां हैं, CIA, हमारी एजेंसी KGB, सोवियत रूस की खुफिया एजेंसी, इजरायल की मोसाद... दुनिया के कई देश हैं, मुझे लगता है कि ये सही नहीं है कि मैं एजेंसियों की क्षमता का मूल्यांकन करूं, लेकिन मैं अपनी एजेंसी KGB के काम से खुश हूं.

अंजना- हम खुफिया एजेंसी के एजेंट के तौर पर आपके करियर के बारे में जानना चाहते हैं, जर्मनी, पिट्सबर्ग और फिर मॉस्को में अपने काम किया, आज जो शख्स यहां बैठा है उसके पीछे कौन है?

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पुतिन- मेरा परिवार. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ, जिनके बीच मैं पला बढ़ा, मुझे लगता है कि इन सबने मिलकर मुझे वो बनाया है जो मैं आज हूं. और जो आपने मेरे खुफिया एजेंट करियर के बारे में कहा, वहां सख्त अनुशासन रहता है, आपको अपनी मातृभूमि की रक्षा करनी है और यही हर खुफिया एजेंट का उद्देश्य होता है. हालांकि मैं उस दौर को कई साल पहले पीछे छोड़ आया हूं.

सोवियत संघ को लेकर क्या बोले पुतिन?

अंजना- एक बार आप स्कूल में बच्चों से संवाद कर रहे थे तब किसी छात्रा ने आपसे पूछा था कि आपके जीवन का सबसे भयानक अनुभव क्या था? आपने कहा था कि सोवियत संघ का विघटन. USSR के विघटन का आप पर क्या असर पड़ा? आप आज के रूस को कैसे देखते हैं? भविष्य का विजन क्या है रशिया को लेकर?

पुतिन- इसका प्रभाव कुछ इस तरह पड़ा कि हमें हमेशा घटनाओं और उनके परिणामों को सावधानी से देखना और समझना चाहिए. ये पहली बात थी. दूसरी, जो बेहद महत्वपूर्ण है वो ये कि ये सिर्फ सोवियत संघ पर ही लागू नहीं होता, बल्कि रूस पर भी उतना ही लागू होता है, क्योंकि एक समय बाद सोवियत संघ को लगने लगा था कि वो इतना शाक्तिशाली है कि उसके नेतृत्व और व्यवस्था को कोई चुनौती नहीं दे सकता, आम नागरिक भी यही समझते थे कि सोवियत संघ इतनी बड़ी ताकत है कि किसी भी परिस्थिति में कोई उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा. अतिविश्वास की यही गलती एक के बाद एक गलतियां करवाती गई, और फिर एक समय ऐसा आया जब हालात काबू से बाहर हो गए. कुछ और देश भी आज ऐसी ही गलतियां कर रहे हैं.

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अंजना- चलिए फिर से सोवियत संघ पर लौटते हैं, क्योंकि आपने अभी कहा कि एक गलती हुई और फिर और गलतियां होती गईं, आपने नागरिकों की बात की, गोर्बाचेव, येल्सन की बात की. तो आप इस विघटन के लिये किसे जिम्मेदार मानते हैं?

पुतिन- मैं किसी पर आक्षेप लगाना नहीं चाहता और ना ही किसी को दोष दूंगा, वो व्यवस्था ही ऐसी थी कि नहीं चल पाई, हमें ये स्वीकार करना होगा बजाय ये सोचने के कि कौन दोषी था. हमें ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जो खुद की रक्षा कर सके. अगर हमने ऐसा सिस्टम बना लिया तो वो पर्याप्त होगा.

गीता- क्या आप फिर से एकीकरण के बारे में सोच रहे हैं?

पुतिन- किसका एकीकरण? सोवियत संघ का? नहीं कतई नहीं. और हमारा ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है और इसका कोई औचित्य भी नहीं बनता क्योंकि ये रूसी संघ की राष्ट्रीय और धार्मिक स्थिति को बदल देगा. इसका कोई मतलब नहीं बनता.

गीता- कुछ पश्चिमी लेखक हैं जो लगातार लिखते रहते हैं कि आप फिर से पुराना सोवियत संघ बनाना चाहते हैं.

पुतिन- मैं जो कहता हूं वो सुनना नहीं चाहते, मैं यहां बोल रहा हूं लेकिन वो सिर्फ अपनी सुनते हैं, वो वही सुनते हैं जो उन्हें पसंद आता है.

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अंजना- ये भी कहा जाता है कि आप अपना साम्राज्य बनाना चाहते हैं.

पुतिन- कुछ लोग इस तरह की बातें कहते रहते हैं, उन्हें अपनी जनता को डराना होता है, ग्लोबल मीडिया में वो अपने एकाधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. ये लोगों की राय को प्रभावित करने की चालबाजी है, उनका मकसद सिर्फ रूस के खिलाफ अपनी आक्रमक नीति को जायज ठहराना है.

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