केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. पीएफआई के खिलाफ यह कार्रवाई अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत की गई है. केंद्र सरकार UAPA के तहत किसी संगठन को 'गैरकानूनी' या 'आतंकवादी' करार दे सकती है. ऐसे में अगर आप इस संगठन से जुड़े हैं या इसके सदस्य हैं तो कानून क्या कहता है? क्या आप गिरफ्तार किए जा सकते हैं? कानून के विशेषज्ञों से हमने इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की.
ऐसे हालात में हो सकती है गिरफ्तारी
कानूनी विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अजय अग्रवाल पीएफआई पर लगे प्रतिबंध को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहते हैं कि चूंकि यह अब प्रतिबंधित संगठन है, ऐसे में इससे जुड़े व्यक्ति को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. इस संगठन की सदस्यता छोड़ देनी चाहिए.
क्या ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी हो सकती है? इस सवाल के जवाब में अजय अग्रवाल कहते हैं कि अगर उस व्यक्ति ने अतीत में संगठन साथ रहते हुए गैरकानूनी काम किए हैं या ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लिया है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए प्रतिबंधित संगठन से जुड़े लोगों को अपना भविष्य बचाने के लिए तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.
कानूनी जानकार कहते है कि अगर संगठन पर प्रतिबंध लग चुका है और उसका कोई सदस्य या पदाधिकारी किसी ऐसे गलत काम में शामिल रहा है, जो कानून की नजर में अपराध है. तो ऐसे में पुलिस या अन्य एजेंसी उसे गिरफ्तार कर सकती हैं. मगर यह आरोपी के अपराध पर निर्भर करता है.
क्या है UAPA कानून?
यूएपीए (UAPA) का फुल फॉर्म है Unlawful Activities (Prevention) Act यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम. मूल रूप से यह कानून साल 1967 में वजूद में आया था. जिसके तहत पुलिस, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियां ऐसे संदिग्ध लोगों को चिह्नित करती हैं, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं. इस कानून में साल 2004, 2008, 2012 और 2019 में कई संशोधन हुए हैं. जिसके तहत ऐसे किसी भी व्यक्ति या संगठन, जो देश के खिलाफ या फिर भारत की अखंडता और संप्रभुता को भंग करने का प्रयास करे, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इस कानून के तहत आरोपी को दोषी पाए जाने पर कम से कम सात साल की सजा हो सकती है.
इस कानून में सबसे हालिया संशोधन 2019 में किया गया था. जिसके तहत केंद्र सरकार ने बिना उचिक कानूनी प्रक्रिया के किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को आतंकी के रूप में आरोपी बनाना संभव बना दिया है. यही वजह है कि यूएपीए को आतंकवाद विरोधी कानून के रूप में भी जाना जाता है. यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए या आरोपी को जमानत मिलना कठिन होता है.
इन आतंकियों पर भी लगा है UAPA
अभी तक इस कानून के तहत कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यूएपीए का इस्तेमाल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखिया हाफिज सईद, आतंकी जकी-उर-रहमान लखवी और आतंकी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ भी किया जा चुका है. अगस्त 2019 में हुए संशोधन के बाद अब इस एक्ट के तहत संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है. साथ ही उस व्यक्ति की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है.
UAPA से NIA को मिले कई अधिकार
इस कानून के तहत एनआईए के पास कार्रवाई करने के असीमित अधिकार हैं. यह कानून एनआईए को अधिकार देता है कि वो आतंकी गतिविधियों के शक में भी किसी को भी पकड़ सकता है और उन्हें गिरफ्तार कर सकता है. इसके अलावा संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उनके खिलाफ कार्रवाई भी एनआईए की ओर से की जा सकती है.
ऐसे में जब किसी आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाता था तो उसके सदस्य एक नया संगठन बना लेते थे. इस प्रक्रिया पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यूएपीए कानून में संशोधन किया. यही नहीं, इस कानून के आधार पर एनआईए को जांच के लिए पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेनी पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत भी नहीं है.
PFI से पहले 42 संगठनों पर लग चुका है प्रतिबंध
गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएफआई (PFI) से पहले 42 संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया गया है, यानी उन पर प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें कई खालिस्तानी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लिट्टे और अलकायदा जैसे संगठन शामिल हैं.
परवेज़ सागर