'टिल्लू ताजपुरिया' और 'छेनू पहलवान' गैंग के दो गुर्गे गिरफ्तार, बड़े पैमाने पर हथियार बरामद

दिल्ली पुलिस ने 'टिल्लू ताजपुरिया' और 'छेनू पहलवान' गैंग के दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया है. उनके कब्जे से 10 अवैध हथियार, 15 जिंदा कारतूस और एक चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की गई है. हथियार तस्करों की पहचान अजय और शमीम के रूप में हुई है.

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हथियार तस्करों की पहचान अजय और शमीम के रूप में हुई है. हथियार तस्करों की पहचान अजय और शमीम के रूप में हुई है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

दिल्ली पुलिस ने 'टिल्लू ताजपुरिया' और 'छेनू पहलवान' गैंग के दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया है. उनके कब्जे से 10 अवैध हथियार, 15 जिंदा कारतूस और एक चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की गई है. हथियार तस्करों की पहचान अजय और शमीम के रूप में हुई है. दोनों से पूछताछ की जा रही है.

पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) संजय कुमार सैन ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर अजय को 12 दिसंबर को दिल्ली-नोएडा सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था. उसके खिलाफ 10 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं. पूछताछ के दौरान अजय ने खुलासा किया कि वो चोरी की बाइक चला रहा था.

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उससे पूछताछ के दौरान संगम विहार में उसके घर पर एक पिस्तौल और गोला-बारूद होने का पता चला. आगे की जांच में पुलिस ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से शमीम को गिरफ्तार कर लिया, जो मुख्य तस्कर है. वो अजय को अवैध हथियार मुहैया कराता रहा है. उसके पास से 10 कट्टा बरामद किया गया है.

पुलिस उपायुक्त ने बताया कि शमीम ने पूछताछ में यह भी खुलासा किया कि गिरोहों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हथियार ग्रामीण इलाकों में बनाए जाते थे. इस नेटवर्क ने विनय पंडित को हथियरों की आपूर्ति की थी, जो टिल्लू ताजपुरिया और छेनू पहलवान गिरोहों से जुड़ा एक बड़ा बदमाश है.

बताते चलें कि छेनू गैंग का सरगना छेनू पहलवान नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली का कुख्यात गैंगस्टर है. वो इस वक्त मकोका के तहत वक्त तिहाड़ जेल में बंद है. उस पर हत्या, लूट, फिरौती समेत कई केस दर्ज हैं. उसका गैंग नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में ज्यादा सक्रिय है. वो सट्टेबाजी, फिरौती और रंगदारी आदि करता रहा है.

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साल 2021 में पुलिस ने एक ऑपरेशन के दौरान खुलासा हुआ था कि छेनू गैंग का सरगना गैंगवार से बचने के लिए बुलेट प्रूफ फॉर्च्यूनर से चलता था. इस दौरान उसके खास गुर्गे मुमताज को गिरफ्तार किया गया था, जो कि हथियार सप्लाई करने के लिए नए लड़के तैयार करता था. 

साल 2011 में छेनू गैंग यमुनापार में शुरू हुए गैंगवार के बाद सुर्खियों में आया था. उस वक्त अब्दुल नासिर और छेनू पहलवान गैंग के बीच खूनी अदावत शुरू हुई थी. दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए थे. इसी दौरान साल 2015 में पेशी के दौरान जज के सामने ही छेनू पर जानलेवा हुआ था. 

इस हमले में छेनू पहलवान तो बाल-बाल बच गया, लेकिन एक हेड कांस्टेबल की मौत हो गई. एक दशक तक चले गैंगवार में तीन दर्जन लोग मारे गए. साल 2018 में दोनों गैंग के बीच समझौता हो गया. इसके बाद दोनों गैंग के गुर्गे मिलकर आपराधिक वारदातों को अंजाम देने लगे.

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