दिल्ली में फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़, पुलिस ने ट्रैवल एजेंट को पंजाब से किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा उपलब्ध कराने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए पंजाब के एक ट्रैवल एजेंट को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने साल 2022 में एक यात्री के लिए यूके के लिए फर्जी वीजा की व्यवस्था की थी. आरोपी की पहचान पंजाब के कोटकपूरा शहर के निवासी अमित भारद्वाज उर्फ ​​गवी के रूप में हुई है.

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दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा उपलब्ध कराने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया. दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा उपलब्ध कराने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST

दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा उपलब्ध कराने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए पंजाब के एक ट्रैवल एजेंट को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने साल 2022 में एक यात्री के लिए यूके के लिए फर्जी वीजा की व्यवस्था की थी. आरोपी की पहचान पंजाब के कोटकपूरा शहर के निवासी अमित भारद्वाज उर्फ ​​गवी के रूप में हुई है. उसने यात्री को अपने सहयोगियों की मदद से 12 लाख रुपए में यूएई के रास्ते यूके की यात्रा की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था.

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसकी योजना तब विफल हो गई जब हरियाणा के रहने वाले अनिल (25) को यूएई के शारजाह के लिए इमिग्रेशन क्लीयरेंस के दौरान दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर रोक लिया गया. इसके बाद जांच के दौरान उसके पासपोर्ट पर लगा वीजा फर्जी पाया गया. अधिकारियों ने 1 मार्च, 2022 को अब समाप्त हो चुकी आईपीसी और पासपोर्ट अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज किया था.

पुलिस की पूछताछ के दौरान जालसाली के शिकार अनिल ने खुलासा किया कि उसने अमित भारद्वाज और उसके साथियों को ब्रिटेन के वीजा और नौकरी के लिए 12 लाख रुपए दिए थे. पुलिस के अनुसार अमित और दो अन्य एजेंट करणजीत सिंह और गुरमीत सिंह ने फर्जी वीजा का प्रबंध किया था. करणजीत और गुरमीत को पहले ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. इसके बाद अमित भारद्वाज का नाम मुख्य बिचौलिए के रूप में सामने आया. 

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आरोपी ट्रैवल एजेंट कई प्रयासों के बावजूद गिरफ्तारी से बचता रहा, जिसके कारण उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया. इसके बाद सूचना मिलने पर पुलिस ने संभावित ठिकानों पर छापेमारी की और उसको पंजाब से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान उसने इस मामले में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली है. ​​उसने खुलासा किया कि वह मल्टीमीडिया प्रोग्रामिंग में डिप्लोमा के साथ स्नातक है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से ऐसा कर रहा था.

पुलिस ने दावा किया कि आरोपी जालसाज ने इस सौदे में अपनी भूमिका के लिए 2 लाख रुपए कमीशन के रूप में लिए थे. उसके अन्य संभावित सहयोगियों की पहचान करने और मामले के प्रासंगिक पहलुओं को उजागर करने के लिए जांच जारी है. पुलिस इस रैकेट के नेटवर्क की तह तक जाने की कोशिश कर रही थी, ताकि इस तरह के अन्य मामलों का खुलासा किया जा सके. इस रैकेट में शामिल जालसाजों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की जा सके.

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