कोरोना के मद्देनजर जेलों में कैदियों की संख्या को घटाने के लिए लगाई गई कई याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ने साफ कर दिया है कि हत्या जैसे गंभीर अपराधों के लिए सजा काट रहे कैदियों को रिलीज नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि बहुत सारे कैदी ऐसे हैं जिन पर एक नहीं बल्कि कई मामले हैं.
कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे लोगों को रिहा किया जाता है तो ये समाज के लिए ठीक नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लेकर ही सिर्फ विचाराधीन कैदियों को रिलीज किया जा सकता है.
कोर्ट ने 350 से ज्यादा उन विचाराधीन कैदियों को रिलीज करने के निर्देश दे दिए हैं जो श्योरिटी बॉन्ड न भर पाने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे थे. कोर्ट ने कहा है कि इन सभी को पर्सनल बांड पर रिहा कर दिया जाए.
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दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी कि जो कैदी अपनी सजा की आधी मियाद पूरी कर चुके हैं उनको पैरोल पर रिहा कर दिया जाए, जिससे जेलों में कोरोना को देखते हुए कैदियों की ज्यादा संख्या को कम किया जा सके. दिल्ली सरकार की तरफ से आज साफ कर दिया गया है कि दिल्ली की सभी जेलों में विचाराधीन कैदी और सजा काट रहे कैदियों के लिए कोविड का टेस्ट कराने की व्यवस्था मौजूद है.
हालांकि, इस बीच ये सवाल भी उठा कि फिलहाल जेलों में नॉन कोविड मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है, लेकिन जेल प्रशासन ने साफ किया कि फिलहाल की परिस्थितियों में इलाज के जो भी विकल्प मौजूद हैं वो कैदियों को दिए जा रहे हैं. क्योंकि दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों को कोविड अस्पतालो में तब्दील कर दिया गया है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जेल प्रशासन उन कैदियों को इलाज मुहैया नहीं करा पा रहा है जो नॉन-कोविड पेशेंट हैं.
पूनम शर्मा