कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से लड़ने में कारगर है स्पूतनिक वैक्सीन, इस इंस्टीट्यूट ने किया दावा

गमलेया इंस्टीट्यूट का मानना ​​है कि स्पूतनिक वी और लाइट ओमिक्रॉन को बेअसर कर देगा क्योंकि उसमें अन्य वैक्सीन के मुकाबले वायरस के म्यूटेशन से लड़ने की उच्चतम प्रभावकारिता है.

Advertisement
सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:52 PM IST
  • ओमिक्रॉन से लड़ने में कारगार है स्पूतनिक वी वैक्सीन : गमलेया इंस्टीट्यूट
  • ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित मिले हैं कई मरीज

गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने दावा किया है कि स्पूतनिक वी और स्पुतनिक लाइट वैक्सीन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से लड़ने में सक्षम है. गमलेया इंस्टीट्यूट का मानना ​​है कि स्पूतनिक वी और लाइट ओमिक्रॉन को बेअसर कर देगा क्योंकि उसमें अन्य वैक्सीन के मुकाबले वायरस के म्यूटेशन से लड़ने की  उच्चतम प्रभावकारिता है.

इंस्टीट्यूट की तरफ से कहा गया है कि यदि इसमें किसी संशोधन की जरूरत नहीं हुई तो हम 20 फरवरी, 2022 तक कई सौ मिलियन स्पूतनिक ऑमिक्रॉन बूस्टर प्रदान करेंगे."

Advertisement

बता दें कि पूरी दुनिया कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर चिंतिंत है और विशेषज्ञों ने साफ किया है कि इस वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों पर वैक्सीन का असर भी कम हो सकता है. 

30 से ज्यादा म्यूटेशन की वजह से अधिक संक्रामक है ओमिक्रॉन: डॉ गुलेरिया

इस वायरस की गंभीरता को लेकर एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक बदलाव हुए हैं जिससे इसे एक इम्यूनोस्केप तंत्र विकसित करने की क्षमता मिलती है.

उन्होंने कहा कि स्पाइक प्रोटीन की उपस्थिति से किसी भी मानव शरीर के कोशिकाओं में वायरस को प्रवेश की सुविधा मिलती है.  इसे ही व्यक्ति के शरीर को संक्रमणीय बनाने और संक्रमण पैदा करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.

Advertisement

आक्रमक तरीके से हो टेस्टिंग: डॉ गुलेरिया

डॉ गुलेरिया ने कोरोना के इस नए वैरिएंट के संक्रमण को रोकने के लिए आक्रमक टेस्टिंग पर जोर देने का सुझाव दिया है. इतनी ही नहीं उन्होंने लोगों को कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज देने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत पर भी जोर दिया है.

नए वैरिएंट के सामने आने के बाद अब स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वैज्ञानिक जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इसके प्रभाव और संक्रमण की क्षमता का अध्ययन कर रहे हैं.

जीनोम में एक पीढ़ी से जुड़ें गुणों और खासियतों को अगली पीढ़ी में भेजने की काबिलियत होती है. इसलिए अलग-अलग कोरोना वैरिएंट मिलकर नया कोरोना वैरिएंट बना रहे हैं. यानी इनके अंदर पुरानी पीढ़ी के जीनोम और नए बने वैरिएंट की खासियत होगी.

ये भी पढ़ें:

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement