पांच महीने में 10 हजार फीसदी का रिटर्न! क्या इस शेयर में लगाना चाहिए पैसा?

ऑर्चिड फार्मा पिछले साल 3 नवंबर को शेयर बाजार में 18 रुपये पर नए सिरे से लिस्ट (रीलिस्ट) हुआ था. मंगलवार को बीएसई पर यह शेयर 1787 रुपये में और बुधवार को 1697.65 रुपये पर बंद हुआ.

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हैरान करने वाली तेजी हैरान करने वाली तेजी

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 29 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 10:25 AM IST
  • Orchid Pharma ने किया हैरान
  • शेयर में चौंकाने वाली तेजी

शेयर बाजार में कई शेयरों का प्रदर्शन हैरान कर देता है. ऑर्चिड फार्मा (Orchid Pharma) ऐसा ही एक शेयर है जिसने पिछले पांच महीने में करीब 10 हजार फीसदी का रिटर्न दिया है. आइए जानते हैं कि क्या इस शेयर में पैसा लगाना ठीक रहेगा. 

यह शेयर पिछले साल 3 नवंबर को शेयर बाजार में 18 रुपये पर नए सिरे से लिस्ट (रीलिस्ट) हुआ था. मंगलवार को बीएसई पर यह शेयर 1787 रुपये में और बुधवार को 1697.65 रुपये पर बंद हुआ. इस तरह पिछले पांच महीने में ऑर्चिड फार्मा ने अपने शेयरधारकों को 9,827% का रिटर्न दिया है. इस दौरान सेंसेक्स ने सिर्फ 21.56 फीसदी का रिटर्न दिया है. 

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प्रमोटर की बड़ी हिस्सेदारी

रीलिस्ट होने के बाद यह शेयर लगातार कई बार अपर सर्किट छूता रहा है. लेकिन इस शेयर में एक बहुत ध्यान देने की बात है. वह बात यह है कि कंपनी के प्रमोटर धानुका लेबारेटरीज की इसमें 98.07 फीसदी हिस्सेदारी है. यानी शेयर मार्केट में आम निवेशकों की खरीद-फरोख्त के लिए बहुत कम शेयर बचे हैं. आम निवेशकों के लिए तो महज आधा फीसदी शेयर ही बचे हैं. 

कंपनी के शेयरों में उछाल आने की वजह यह है कि प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी कुछ बड़े निवेशकों को काफी किफायती दाम पर बेच रहे हैं. सेबी के नए नियम के मुताबिक प्रमोटर्स को किसी कंपनी की लिस्टिंग के तीन साल के भीतर अपनी हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी तक लानी है.

शेयरों में उछाल पर संदेह 

जानकारों का कहना है कि चेन्नई मुख्यालय वाली इस कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन उसके शेयरों में इस उछाल को जस्टिफाई नहीं करता. कंपनी इन दिनों इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्शी कोड (IBC) प्रक्रिया से गुजर रही है. कंपनी के नए प्रबंधन ने कंपनी के ऑपरेशन और रिसर्च क्षमता में काफी निवेश किया है और अगले 6 से 12 महीने में मुनाफे में आने की उम्मीद कर रही है. 

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वित्तीय प्रदर्शन खराब

वित्त वर्ष 2013 से अब तक कंपनी ज्यादातर वर्षों में घाटे का ही सामना करती रही है. 31 दिसंबर, 2020 को खत्म तिमाही में कंपनी का शुद्ध घाटा 30 फीसदी बढ़कर 45.33 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इसी तरह कंपनी की बिक्री में भी करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है. कंपनी की स्थापना 1992 में हुई थी और यह बल्क एक्टिव्स, फॉर्मूलेशंस और न्यूट्रास्यूटिकल्स के विकास, मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग में शामिल है. इसलिए कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस शेयर में यह तेजी संदिग्ध है, इसलिए इससे फिलहाल बचकर रहना ही ठीक है. 

(www.businesstoday.in इनपुट पर आधारित)  

 

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