शेयर बाजार (Share Market) में निवेशकों का नजरिया तेजी से बदल रहा है. खासकर पिछले एक से दो साल का पैटर्न देखें तो भारतीय बाजार में नया ट्रेंड आ गया है. दरअसल, कुछ समय पहले किसी भी वैल्यूएशन पर ग्रोथ स्टॉक को खरीदना का चलन था, जबकि उस समय कमाई और क्वालिटी पर एक जैसा ध्यान नहीं दिया जाता था.
लेकिन उसके बाद बाजार में क्वालिटी स्टॉक का प्रदर्शन थोड़ा सुस्त पड़ा और दूसरे कमाई वाले स्टॉक के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ गया. इससे BAAP थीम को झटका लगा, यहां BAAP थीम का मतलब 'Buy at any price' है. यानी वैल्यूएशन वाले स्टॉक रेस में पिछड़ने लगे.
उसके बाद साल 2020 से निवेशकों ने पसंदीदा पीएसयू शेयरों पर दांव लगाना शुरू किया. उसी समय स्मॉलकैप शेयर भी निवेशकों को लुभाने लगा. क्योंकि रिटेल निवेशक तेजी से बाजार में एंट्री कर रहे थे. अब जब कई PSU मल्टीबैगर्स बन रहे हैं और स्मॉलकैप शेयरों के वैल्यूएशन महंगे नजर आ रहे हैं, तो इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि क्या हाई वैल्यूएशन आगे भी कायम रहेगा?
इस बीच Helios Capital के समीर अरोड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक मजेदार पोस्ट किया है. उन्होंने बाजार में शेयरों को लेकर बदलते नजरिये पर 'PAAP' यानी 'PSUs at any Price' नाम दिया है. यानी निवेशक अब पीएसयू किसी भी कीमत पर खरीद रहे हैं. इसके अलावा निवेश 'SAAP' थीम भी अपना रहे हैं, यानी 'Smallcaps at any Price’.
समीर अरोड़ा BAAP, PAAP, SAAP थीम के जरिये ये बताना चाह रहे हैं कि दलाल स्ट्रीट पर निवेशकों की धारणा कैसे कुछ वर्षों में बदल गई. क्योंकि पिछले कुछ महीनों में लॉर्ज कैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में दमदार तेजी आई है. जिससे निवेशकों का रुझान इस ओर बढ़ा है.
वहीं कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने एक नोट में लिखा है कि PSU शेयरों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनका बेहतर प्रदर्शन एक बड़ा फैक्टर है. क्योंकि कुछ शेयरों में फंडामेंटली में बदलाव हुआ है. इसके अलावा छोटे-मोटे निगेटिव बातों को नजरअंदाज किया गया है. नोट में आगे कहा गया है कि सरकारी कंपनियों में ये रैली कितनी टिकाऊ है, ये अगले एक से दो साल में पता चल जाएगा.
गौरतलब है कि मार्च 2023 में PSU शेयरों में एक तरफा रैली देखने को मिली है. लगभग सभी शेयरों की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. खासकर रेलवे स्टॉक्स ने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है, और अब लोग भी इन शेयरों पर दांव लगा रहे हैं, हालांकि कोरोना के बाद से भारतीय बाजारों में रिटेल निवेशक तेजी से जुड़े हैं.
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