‘मैं अपने पिता की चाइनीज वर्जन हूं’, बोलीं अनन्या बिड़ला, बताया उनके लिए कैसा रहा कारोबार और कला में सफलता का रास्ता

मुंबई में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अनन्या बिड़ला ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही सोच लिया था कि वो अपना खुद का बिजनेस खड़ा करेंगी. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने प्रिविलेज्ड बैकग्राउंड के बावजूद स्वतंत्र माइक्रोफिन कंपनी स्थापित की. इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि वो म्यूजिक फील्ड में कैसे आईं.

Advertisement
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अनन्या बिड़ला ने बिजनेस और म्यूजिक पर बात की. (Photo: ITG) इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में अनन्या बिड़ला ने बिजनेस और म्यूजिक पर बात की. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

मुंबई में आयोजित 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई (India Today Conclave, Mumbai)' में माइक्रोफाइनेंस कंपनी ‘स्वतंत्र माइक्रोफिन’ की संस्थापक, बिजनेसवुमन और आर्टिस्ट अनन्या बिड़ला ने अपने करियर, आस्था, परिवार समेत जीवन के अनेक पहलुओं पर खुलकर बातचीत की. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने प्रिविलेज्ड बैकग्राउंड में जन्म लेने के बावजूद खुद का रास्ता चुना और बिजनेस के साथ-साथ म्यूजिक के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई.

Advertisement

दिग्गज भारतीय उद्योगपति और बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला की बेटी अनन्या बिड़ला ने कहा कि बचपन से ही उन्होंने सोच लिया था कि वो अपना खुद का कुछ करेंगी.

अपनी कंपनी स्वतंत्र माइक्रोफिन को लेकर उन्होंने बताया, 'स्वतंत्र इसलिए शुरू की क्योंकि मुझे लगता था कि मैं प्रिविलेज्ड परिवार में पैदा हुई हूं. मुझे खुद को साबित करना था और इसलिए मैंने सोचा कि मैं कुछ अपना करूंगी. मैंने बचपन से ही महसूस किया कि अगर कोई महिला अपना खुद का कुछ नहीं करती तो वो निर्भर ही रहती है. पहले पिता पर, फिर पति पर इसलिए मैंने स्वतंत्र शुरू किया.'

अनन्या ने कहा कि एक महिला होकर माइक्रोफाइनेंसिंग कंपनी शुरू करने पर उन्हें काफी मुश्किलें आईं लेकिन वो आगे बढ़ती गईं.

कॉन्क्लेव के दौरान अनन्या ने बिजनेस के साथ-साथ अपने म्यूजिक करियर पर भी बात की. अनन्या ने कहा, 'मैं हर दिन सच के साथ जीती हूं, पूरी ईमानदारी और सच्चाई से. अगर मैं ऐसी नहीं रहूंगी तो फिर रात को मुझे नींद नहीं आ सकती. बचपन से मुझे पोएट्री से लगाव था और धीरे-धीरे मैंने गाने लिखना शुरू किया. म्यूजिक मेरे लिए खुद को अभिव्यक्त करने का तरीका है. अगर मेरा म्यूजिक किसी एक इंसान को भी अच्छा महसूस कराता है, तो वह मेरे लिए बड़ी जीत होगी.'

Advertisement

भगवान में आस्था और विश्वास

अनन्या के हाथ पर भगवान का टैटू बना है. उन्होंने कहा कि उन्हें भगवान और यूनिवर्स की शक्ति पर गहरा विश्वास है.

उन्होंने कहा, ' मेरा मानना है कि अगर मैं अच्छे इरादे के साथ मेहनत करूं तो जरूर सफल होऊंगी, अगर नहीं तो फिर यूनिवर्स ने कुछ अलग प्लान किया है. यह मेरा विश्वास है. मेरी कंपनी इसका एक अच्छा उदाहरण है. जब माइक्रोफाइनेंस डूब रहा था तब भी मेरी कंपनी ने अच्छा किया. हमने मुश्किल दौर में भी मुनाफा कमाया. मुझे लगता है कि यह सब मेरे लिए यूनिवर्स की प्लानिंग है.'
 
उन्होंने आगे कहा कि 'शुरुआत में मुझे डर था कि म्यूजिक की वजह से लोग मुझे एक बिजनेसपर्सन के रूप में गंभीरता से नहीं लेंगे. लेकिन मैंने बिजनेस और म्यूजिक दोनों में लोगों का प्यार हासिल किया, दोनों जगह लोगों ने मुझे चाहा, क्योंकि मैंने बहुत मेहनत की, अच्छे इरादे के साथ इसलिए यूनिवर्स ने मेरा साथ दिया.'

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कंपनी का मुश्किल वक्त में प्रॉफिट कमाना उनकी आस्था का सबूत है.

म्यूजिक या बिजनेस- कौन ज्यादा मुश्किल?

अनन्या ने दोनों ही क्षेत्रों को चुनौतीपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, 'स्टूडियो में आपको बेहद वल्नरेबल होना पड़ता है, अपनी सारी भावनाओं को खोलकर रखना होता है. वहीं, बिजनेस भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा मेरे लिए, खासकर तब जबकि मैं एक महिला हूं और एक ऐसी बिजनेस फैमिली से आती हूं जहां से केवल और केवल पुरुष ही आते रहे हैं.  यह मेरे लिए आसान नहीं था. दोनों में से किसी एक को चुनना मेरे लिए मम्मी-पापा में से किसी एक को चुनने जैसा है.'

Advertisement

बिड़ला परिवार का नाम और सफल होने का दबाव

बिड़ला परिवार से होने को लेकर उन पर सफल होने का काफी दबाव रहा है.  इस पर बात करते हुए अनन्या ने कहा कि उनके लिए यह दबाव कभी बाहरी नहीं रहा बल्कि खुद को साबित करने का, उनके ऊपर खुद का ही दबाव था.

वो कहती हैं, 'हर बच्चे की तरह मैं चाहती हूं कि मेरे माता-पिता मुझ पर गर्व करें. शुरुआत में खुद को साबित करने का प्रेशर था, लेकिन ये मेरा खुद को खुद का दिया प्रेशर था, किसी ने मुझसे कहा नहीं कि तुम ये करो, वो करो.'

अनन्या बिड़ला ने कहा कि उनके लिए सफलता का कोई विशेष पैमाना नहीं है बल्कि वो रोज असफल होती हैं और उससे सीखकर फिर उठ खड़ी होती हैं.

वो कहती हैं, 'मेरे माता-पिता हमेशा मुझसे कहते हैं कि सफलता और असफलता सिक्के के दो पहलू हैं. मैं रोज गिरती हूं और रोज उठती हूं. रोज फेल होती हूं, फिर आगे बढ़ती हूं. मैं कई चीजों में और बेहतर कर सकती हूं जैसे टाइम मैनेजमेंट. मैं मीटिंग्स के लिए लेट हो जाती हूं, ट्रैफिक में फंस जाती हूं...लेकिन मैं बेहतर बनने की कोशिश में रहती हूं.'

पिता से अलग अनन्या का वर्क स्टाइल

अनन्या ने बताया कि उनका और उनके पिता का वर्क स्टाइल अलग है. वो कहती हैं, 'मैं बहुत बार घर से काम कर लेती हूं जबकि पापा हमेशा ही ऑफिस जाते हैं. मैं अपनी टीम के साथ ज्यादा कनेक्टेड रहती हूं और वो ज्यादा फॉर्मल हैं. मुझे स्लिप डिस्क की समस्या है और मैं अपनी टीम को यह बताती हूं, लेकिन पापा ऐसी बातें शेयर नहीं करते. हमारी जेनरेशन ज्यादा ओपन है.'

Advertisement

जब उनसे पूछा गया कि वे क्या चाहती हैं कि लोग उन्हें कैसे याद रखें, तो उन्होंने कहा, 'मैं यह तय नहीं कर सकती कि लोग मुझे कैसे याद रखें. यह लोगों का फैसला होगा. बस इतना चाहती हूं कि लोग मुझे इसलिए याद करें कि मैंने उन्हें कुछ खास महसूस कराया.'

अनन्या ने यह भी कहा कि बिड़ला परिवार की वैल्यू उन्हें अपने दादा-पिता से जोड़कर रखती है, भले ही उनकी सोच अलग हो.

वो कहती हैं, 'मुझे अकेले रहना पसंद है और हमारी पीढ़ी उनकी पीढ़ी से बहुत अलग है, हमारे काम का तरीका अलग है. हमारी दुनिया अलग है लेकिन बिड़ला परिवार की वैल्यूज हमें जोड़कर रखती हैं. मैं कहना चाहूंगी कि मैं अपने पिता की चाइनीज वर्जन हूं.'

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement