आज के दौर में भारत और रूस बड़ा बिजनेस पार्टनर भी है. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस को कई चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है, खासकर ट्रेड को लेकर. फिलहाल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं. इस दौरान 'आजतक' ने उनका खास इंटरव्यू किया है. पुतिन ने कई मसलों पर खुलकर अपनी राय रखी है.
राष्ट्रपति पुतिन से रुपये और रूबल में लेनदेन को लेकर सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि इसमें कोई बाधा नहीं है, ये अर्थव्यवस्था का मामला है और मैं इस बात को समझता हूं कि हमारे बीच असंतुलित कारोबार है. उदाहरण के तौर पर भारत ने हमारे बीच कोई रुकावट पैदा नहीं की. क्योंकि उन्हें तेल और तेल से निर्मित सामान चाहिए. भारत सरकार को अपने किसानों के लिए रुस में बने उर्वरक चाहिए. पीएम मोदी हमेशा इस मुद्दे को मेरे सामने उठाते हैं, और ये रुपये में पेमेंट का मामला नहीं है.
दोनों देशों की सहमति से बनेगी बात
उन्होंने आजतक से कहा, 'मैं हमेशा कहता हूं कि इस असंतुलन को दुरुस्त करना है, प्रतिबंधित नहीं. हमारे कारोबार से दोनों देशों को फायदा हो, किसी एक को नहीं. भारत दौरे पर हमारा प्रयास है कि हम पहल करें, जिसमें भारत और रुस के आयात और निर्यात की प्रदर्शनी लगे. मैंने अपने अफसरों को आदेश दिया है कि भारत से हम जो सामान खरीदते हैं. उसमें और क्या जोड़ सकते हैं, इसपर काम करें.'
राष्ट्रपति पुतिन के सामने अगला सवाल था कि इसे आर्थिक तौर पर व्यवहारिक कैसे बनाएंगे? क्या आप कोई वैकल्पिक लेनदेन व्यवस्था बनाएंगे? क्या आप मुद्रा में कोई बदलाव करेंगे या फिर आप राष्ट्रीय मुद्रा में ही भुगतान करेंगे?
उन्होंने इस सवाल का जवाब देते हुए साफ कर दिया कि रूबल और रुपये में लेनदेन को लेकर हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, कई बार बड़ी गलती हो जाती है. आप यूरोप को देखें, वहां अमेरिकी सिस्टम है, कई देश ऐसे हैं जिनका आर्थिक तंत्र एकल मुद्रा व्यवस्था के लिए तैयार नहीं है, तो समस्या यही है. हम इसे दुरुस्त कर रहे हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि अपनी मुद्रा में हम आसानी से कारोबार नहीं कर सकते.
ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक को लेकर पुतिन का बड़ा संकेत
उन्होंने कहा कि हम जो करने जा रहे हैं, उसे बहुत सावधानी और समझदारी से करना होगा. हमें अपनी मुद्रा का इस्तेमाल करना चाहिए और ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर होना चाहिए. उदाहरण के तौर पर अपनी अर्थव्यवस्था और ग्लोबल साउथ के विकास के लिए हम एक निवेश प्लेटफॉर्म बनाएं, जो कारोबार के लिए इलेक्ट्रोनिक पेमेंट का इस्तेमाल करे और शुरुआती तौर पर उसकी क्षमता 100 बिलियन डॉलर की हो.
पुतिन ने कहा, 'मैं मानकर चल रहा हूं कि ये बहुत शानदार होने वाला है. इससे जो लाभार्थी देश होंगे, उनका तो भला होगा ही, इसमें हमारा भी लाभ है. हम सस्ते दामों में उच्च गुणवत्ता वाले सामान बना सकते हैं. इससे ग्लोबल साउथ के देशों का विकास होगा, हमारा लाभ भी होगा. और हां, आज के समय में इलेक्ट्रोनिक पेमेंट सिस्टम का तेजी से विकास हो रहा है और ये किसी को खत्म करने के लिए नहीं हो रहा है. सबको तालमेल के साथ काम करना होगा.'
अंजना ओम कश्यप / गीता मोहन