केवल दसवीं तक पढ़ाई, 19 साल की उम्र में शादी और नई जिम्मेदारियां, फिर भी हौसला ऐसा कि आज देश ही नहीं, दुनिया में बड़ा नाम है सत्यनारायण नुवाल. दरअसल, राजस्थान के भीलवाड़ा में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सत्यनारायण नुवाल (Satyanarayan Nuwal) 10वीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए. पिता पटवारी थे और 1971 में उनके रिटायर होने के बाद परिवार जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष करने लगा. उनके दादाजी छोटी-सी परचून की दुकान चलाते थे. क्या यही किया जाए? कांच की बड़ी-बड़ी खिड़कियों से कहीं दूर देखते हुए नुवाल याद करते हैं, 'स्कूल के बाद दादाजी की मदद करने दुकान में चला जाता था.' विनम्र और मृदुभाषी नुवाल दफ्तर का इंटीरियर बहुत साधारण ही रखते हैं पर कभी-कभी किसी पेंटिंग या मूर्ति को जगह मिल जाती है. अब सत्यनारायण नुवाल 70 वर्ष के हो चुके हैं.
19 की उम्र में शादी
उन्होंने फाउंटेन पेन की स्याही बेचनी शुरू की पर नाकाम रहे. 19 साल की उम्र में शादी और नई जिम्मेदारियां. रोजी-रोटी के लिए उन्हें 1977 में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के बल्हारशाह जाना पड़ा, जहां उनकी मुलाकात अब्दुल सत्तार अल्लाहभाई (Abdul Sattar Allahbhai) से हुई जो कुएं खोदने, सड़कें बनाने और खदानों की खुदाई में काम आने वाले विस्फोटकों के व्यापारी थे.
यही वह निर्णायक मोड़ था. वे बताते हैं, 'उन दिनों विस्फोटकों की आपूर्ति बहुत कम थी. इस पर कुछ कंपनियों का एकाधिकार-सा था.' वे 1,000 रुपये महीना देकर अल्लाहभाई के विस्फोटकों के गोदाम के साथ विस्फोटकों को बेचने के उनके लाइसेंस का उपयोग करते हुए धंधा करने लगे. जल्द ही ब्रिटेन की एक फर्म इंपीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज (आईसीआई) के अधिकारियों की उन पर नजर पड़ी. उसने उन्हें अधिकृत वितरक बना दिया.
बैंक से कर्ज लेकर शुरुआत
उन्होंने 1984 में नागपुर को आधार बनाया, जिससे उनकी सरकार के स्वामित्व वाले वेस्टर्न कोलफील्ड्स से नजदीकी बढ़ी. शुरुआत में यह चोखा धंधा था. डीलर 250 रुपये में 25 किलो विस्फोटक खरीदकर बाजार में 800 रुपये में बेचते थे. लेकिन जल्द ही सरकार ने अधिक पैसे देने शुरू कर दिए तो प्रतिस्पर्धा तेज हो गई. नुवाल को विस्फोटकों का निर्माण शुरू करना पड़ा. 1995 में, उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक से 60 लाख रुपये का कर्ज लेकर विस्फोटक निर्माण की छोटी इकाई शुरू की. कोल इंडिया लिमिटेड उनका भरोसे का ग्राहक बना. वहां से नुवाल को बड़ा बिजनेस मिला. लेकिन सोलर इंडस्ट्रीज (Solar Industries India) ने बड़ी छलांग 1996 में लगाई जब उसे 6,000 टन विस्फोटक सालाना बनाने का लाइसेंस मिला.
बीएसई और एनएसई पर 2006 में कंपनी की पब्लिक लिस्टिंग हुई और इसने उन्हें फैलाव के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराया. 2021-22 में चार लाख टन सालाना की क्षमता के साथ वे दुनिया के चौथे सबसे बड़े विस्फोटक निर्माता और पैकेज्ड विस्फोटकों के सबसे बड़े निर्माता बन गए. सोलर इंडस्ट्रीज अपने उत्पाद 60 देशों में भेजती है और यह भारत से विस्फोटकों के कुल निर्यात का 70 प्रतिशत हिस्सा है. दूसरा बड़ा मौका तब आया जब केंद्र ने रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ाया. 1995 में शुरू की गई उनकी कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स ड्रोन के लिए वारहेड, हथगोले, सैन्य विस्फोटक, रॉकेट तथा पिनाक और अग्नि जैसी मिसाइलों के लिए आयुध बनाती है.
7500 लोग करते हैं काम
हर दिन प्राणायाम के लिए एक घंटा समर्पित करने वाले नुवाल नपी-तुली बातें करते हैं. 2021 में कंपनी ने पिनाक रॉकेट के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण किया. कंपनी ने इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की एक इकाई के साथ मिलकर विकसित किया है. इस साल जुलाई में उसने ब्रह्मोस मिसाइलों के लॉन्च में इस्तेमाल होने वाले स्ट्रैप-ऑन बूस्टर की आपूर्ति का ठेका हासिल किया. आज सोलर इंडस्ट्रीज में 7,500 कर्मचारी हैं और नागपुर में इसके दो कारखाने हैं.
सात दूसरे देशों में भी इसके कारखाने हैं. 31 मार्च को 2,982 करोड़ रुपये के ऑर्डर के साथ 2021-22 में कंपनी का राजस्व 3,948 करोड़ रुपए का था. मुनाफा 441 करोड़ रुपये और बाजार पूंजी 37,157 करोड़ रुपये थी. नुवाल के बेटे मनीष कंपनी के प्रबंध निदेशक और सीईओ हैं. मुनाफे का इस्तेमाल नुवाल कंपनी पर कर्ज का दबाव कम रखने में (31 मार्च को कंपनी पर 784 करोड़ रु. का कर्ज) इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. नुवाल का मानना है कि आने वाले मुनाफे को वे कंपनी को कर्ज से हल्का रखने में इस्तेमाल करते हैं. फिलहाल नुवाल के पास कुल संपत्ति 14,700 करोड़ रुपये है.
एम.जी. अरुण