GST बैठक के बीच विपक्षी राज्यों की मांग, रेवेन्यू में होने वाले नुकसान की भरपाई का हो इंतजाम

GST Council की 56वीं बैठक नई दिल्ली में शुरू हो चुकी है और इसमें तमाम प्रस्तावित सुधारों पर मुहर लग सकती है. इस बीच विपक्ष शासित राज्यों ने रेवेन्यू में नुकसान की भरपाई की योजना की मांग की है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू (Photo: X/Ministry of FInance) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू (Photo: X/Ministry of FInance)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:22 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक  शुरू हो गई है. इसमें अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों को लेकर मिले प्रस्तावों पर चर्चा की जा रही है. बैठक में लिए गए फैसलों और जीएसटी रेट्स में बदलाव के बारे में कल यानी 4 सितंबर को ऐलान किया जाएगा. प्रमुख तौर पर चार जीएसटी स्लैब को घटाकर दो करने का प्रस्ताव है, जिसके तहत 12% और 28% के स्लैब को हटाकर सिर्फ 5% और 18% रखा जाएगा. जीएसटी रिफॉर्म की तैयारियों के बीच विपक्ष शासित राज्यों ने उनके राजस्व संरक्षण और उपभोक्ताओं को बदलाव का पूरा लाभ दिए जाने से संबंधित उपायों की मांग की है. 

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'रेवेन्यू के नुकसान की हो भरपाई'
बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक के बीच विपक्षी राज्यों की ओर से काउंसिल के सामने मांग उठाई गई. हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल की ओर से कहा गया कि जीएसटी रेट्स में बदलाव से लेकर स्लैब की संख्या घटाने तक के सुधार का लाभ कंपनियों के बजाय सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाना चाहिए. 

इसके अलावा राज्यों को इससे होने वाले रेवेन्यू के नुकसान की भरपाई के लिए भी प्रबंध किए जाने चाहिए. उनकी ओर से एक स्पष्ट मुआवजा योजना बनाए जाने की मांग की गई है. न केवल विपक्षी, बल्कि कुछ भाजपा शासित राज्यों ने भी संशोधित स्लैब से होने वाले संभावित नुकसान को लेकर अपनी चिंताएं शेयर की हैं. 

गौरतलब है कि जब जीएसटी पहली बार लागू किया गया था, तो केंद्र की ओर से विलासिता और हानिकारक चीजों पर हाई जीएसटी के साथ ही उपकर लगाकर राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई का वादा किया था. अब विपक्षी शासन वाले राज्यों ने मांग करते हुए कहा है कि ऐसी चीजों पर 40% की दर के ऊपर लगाया गया कोई भी टैक्स राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए, ताकि उनके राजस्व घाटे की भरपाई हो सके. 

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जीएसटी सुधार का राज्यों पर ये असर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी सुधारों का राजस्व पर असर अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होगा. बेकर टिली एएसए इंडिया एलएलपी के पार्टनर संदीप गुप्ता के मुताबिक, उपभोग-आधारित राज्यों को बढ़ी हुई मांग से लाभ हो सकता है, जबकि पंजाब, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे भारी कर्ज वाले राज्य जीएसटी रेवेन्यू में नुकसान से बड़े संकट का सामना कर सकते हैं. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी यही चेतावनी दोहराते हुए कहा है कि विपक्षी राज्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि पर्याप्त मुआवजा जरूरी है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो राज्यों को होने वाले नुकसान का आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.

इसके अलावा पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर प्रतीक जैन के मुताबिक, जीएसटी सुधार कुछ ही दिनों में लागू हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी रेट्स में कटौती से खपत में इजाफा होगा, लेकिन केंद्र को राज्यों के फाइनेंस का भी सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना होगा. बता दें कि इस बैठक में जो बदलाव हो रहे हैं, उसके तहत 28 फीसदी वाले स्लैब में आने वाली वस्तुओं को 18 फीसदी स्लैब में शामिल किया जा सकता है, तो वहीं 12 फीसदी वाली चीजें 5 फीसदी वाले स्लैब में आ सकती हैं. हालांकि, 28 फीसदी स्लैब में शामिल सिगरेट, तंबाकू समेत कुछ अन्य हानिकारक वस्तुओं समेत कुछ अन्य सामानों पर 40 फीसदी का एक अलग स्लैब होगा.

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