समंदर का रास्ता होगा ब्लॉक! ऑयल ट्रेड पर पुतिन के खिलाफ आर-पार के मूड में EU और G7 के देश

यूरोपीय संघ और जी 7 देश मिलकर रूसी तेल के खिलाफ बड़ी तैयारी कर रहे हैं. रूस पर पूर्ण समुद्री प्रतिबंध की तैयारी चल रही है, जिसके तहत रूसी तेल रेवेन्‍यू में बड़ी गिरावट आ सकती है.

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रूसी तेल रोकने की तैयारी. (Photo: ITG) रूसी तेल रोकने की तैयारी. (Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 06 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:12 PM IST

रूसी तेल व्‍यापार के खिलाफ सबसे बड़े कदम उठाने की तैयारी चल रही है. G-7 देश और यूरोपीय संघ (EU) मिलकर रूसी कच्‍चे तेल के लिए समुद्री सेवाओं पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं. यह एक ऐसा कदम होगा, जो पश्चिम के जहाजों और बीमा कंपनियों का गला घोंट देगी, जो अभी भी रूसी कच्‍चे तेल के निर्यात में मदद कर रही हैं. 

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रॉयटर्स की रिपेार्ट में छह सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है. इस प्रतिबंध से मौजूदा प्राइस लिमिट सिस्‍टम समाप्‍त हो जाएगा और रूस द्वारा बड़े पैमाने पर पश्चिमी स्‍वामित्व वाले टैंकर्स के माध्‍यम से किए जाने वाले प्रॉफिटेबल समुद्री बिजनेस पर बड़ा अटैक होगा, जिनमें से ग्रीस, साइप्रस और माल्‍टा जैसे यूरोपीय संघ की समुद्री शक्तियां शामिल हैं.

रूस अपने एक तिहाई से ज्‍यादा तेल की आपूर्ति पश्चिमी जहाजों और सेवाओं के जरिए करता है, जिसमें ज्‍यादातर भारत और चीन को सप्‍लाई किया जाता है. इस पहुंच को बंद करने से रूस को अपने पुराने बेड़े पर ज्‍यादा निर्भर रहना पड़ेगा, जो प्रतिबंधों से बचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैकड़ों टैंकरों का एक ढीला-ढाला नेटवर्क है.

EU के अगले पैकेज में शामिल हो सकता है ये प्रतिबंध
रॉयटर्स की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस प्रस्‍ताव को यूरोपीय संघ के अगले प्रतिबंध पैकेज में शामिल करने पर विचार कया जा रहा है. जिसकी उम्‍मीद 2026 की शुरुआत में है. ब्रुसेल्स को उम्मीद है कि वह अपने फैसले को औपचारिक रूप से प्रस्ताव में शामिल करने से पहले G-7 समझौते के साथ मिलान करेगा. 

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आखिरी फैसला ट्रंप के ऊपर
सूत्रों ने यह भी बताया कि G-7 बैठकों में ब्रिटिश और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा वार्ता को आगे बढ़ाया जा रहा है. हालांकि कोई भी अंतिम अमेरिकी रुख राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा चुनी गई रणनीति पर निर्भर करेगा, क्योंकि वह यूक्रेन-रूस शांति वार्ता में मध्यस्थता कर रहा है. अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो समुद्री सेवाओं पर प्रतिबंध 2022 में यूक्रेन पर युद्ध के बाद से जी-7 और यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल पर लगभग पूर्ण प्रतिबंध लाने की सबसे करीबी कार्रवाई होगी. 

रूस तलाश रहा वैकल्पिक रास्‍ता
रिपोर्ट का दावा है कि तेल के प्राइस लिमिट से बचने के लिए रूस ने अपना अधिकांश कच्चा तेल अपने निजी टैंकरों से एशिया भेजा, जिनमें से कई पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं और जो पश्चिमी बीमा के बिना चलते हैं. ये जहाज अक्सर अस्पष्ट स्वामित्व संरचनाओं और सुरक्षा मानकों को नजअंदाज करके चलाए जा रहे हैं. 

बाइडेन प्रशासन का तर्क था कि रूस को प्रतिस्थापन जहाजों पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर करने से युद्ध की फंडिंग की उसकी क्षमता कम हो जाएगी. हालांकि ट्रंप सरकार ने प्राइस लिमिट नजरिए में कम रुचि दिखाई है  और 2025 में प्राइस लिमिट को 60 अमेरिकी डॉलर से घटाकर 47.60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल करने पर ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और कनाडा का समर्थन करने से इनकार कर दिया है.

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सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार, रूस ने अक्टूबर में अपने तेल का 44 प्रतिशत प्रतिबंधित छाया-बेड़े के टैंकरों के ज़रिए, 18 प्रतिशत गैर-प्रतिबंधित छाया जहाजों के ज़रिए, और 38 प्रतिशत G-7, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों से जुड़े टैंकरों के ज़रिए निर्यात किया. लॉयड्स लिस्ट इंटेलिजेंस के समुद्री आंकड़ों से पता चलता है कि रूस, ईरान और वेनेजुएला से प्रतिबंधित तेल ले जाने वाले कुल प्रतिबंधित बेड़े में अब 1,423 टैंकर हैं. 

पश्चिमी सरकारों का क्‍या है कहना? 
पश्चिमी सरकारों का कहना है कि इसका लक्ष्‍य तेल बाजार में स्थिरता बनाए रखते हुए क्रेमलिन के युद्ध वाले रेवेन्‍यू को कम करना है. अगर पूण समुद्री प्रतिबंध लागू हो जाता है तो पश्चिम जहाजों तक रूस की पहुंच काफी कम हो जाएगी और रूस को या तो अपने छुपे हुए बेड़े का विस्‍तार करना होगा या फिर निर्यात में कटौती करनी होगी. 

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