केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष (2022-23) में राजकोषीय घाटे को 6.4 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2021-22 के Fiscal Deficit के टार्गेट में भी संशोधन किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए इसकी घोषणा की. नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार राजकोषीय घाटे को लेकर हमेशा से सतर्क रुख अपनाती रही है.
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)
वर्ष 2021-22 के आम बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था. हालांकि, मंगलवार को सीतारमण ने इसमें संशोधन करते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए 6.9 फीसदी के Fiscal Deficit का टार्गेट तय किया है. सरकार ने कोविड-19 की वजह से राजकोषीय घाटे का लक्ष्य इतना अधिक रखा था.
क्या होता है राजकोषीय घाटा (What is Fiscal Deficit)
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) का मतलब सरकार की कुल कमाई और खर्च के बीच का अंतर होता है. दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सरकार खर्च पूरा करने के लिए कितना पैसा उधार लेगी वह राशि ही राजकोषीय घाटा है.
वास्तव में राजकोषीय घाटा ही देश की आर्थिक स्थिति की सही तस्वीर पेश करता है और यह वह नंबर होता है जिसपर शेयर बाजार के निवेशकों से लेकर रेटिंग एजेंसियों तक की पैनी नजर होती है.
कोरोना से बिगड़ी स्थिति
कोरोना की वजह से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर असर देखना को मिला. वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना की वजह से यह टार्गेट से काफी अधिक रहा था क्योंकि सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए कई तरह के प्रावधान किए थे.
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