साल 2025 अब सिर्फ कुछ दिनों का मेहमान है. 2 दिनों के बाद बाद साल 2026 का आगमन हो जाएगा और इसी के साथ बदल जाएगा आपका कैलेंडर. समय की धारा में आप एक नए साल में प्रवेश कर जाएंगे और नए कैलेंडर के साथ अपनी दिनचर्या, शेड्यूल और जरूरी कामों की तारीख तय करने लगेंगे. साल बदलने के इस सिलसिले के बीच बीते दिनों आपने जाना का कैलेंडर शब्द कहां से आया और जनवरी को कैसे उसका नाम मिला. लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन रोमन कैलेंडर (जिसे राजा रोमुलस ने बनाया था) में महीनों के नाम कैसे-कैसे थे?
शांति और धार्मिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध है राजा नूमा का शासनकाल
इतिहास की इसी सफर पर आज चलते हैं नए सवाल के साथ वहीं उसी दौर में, जहां रोमन राजा नूमा पोंपिलियस कैलेंडर में बदलाव कर रहा था. असल में साबाइन जनजाति में जन्मा नूमा पोंपिलियस सरल, विनम्र और धार्मिक प्रवृत्ति वाला व्यक्ति था. रोमुलस के बाद जब नूमा को राजा चुना गया तो उसने युद्धप्रिय रोमुलस से उलट शांति और धर्म पर जोर दिया. रोमन इतिहासकार बताते हैं कि, नूमा का शासनकाल शांति और धार्मिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध है.
सरल था पर व्यावहारिक नहीं था कैलेंडर
इसके अलावा नूमा ने रोम में कई धार्मिक संस्थानों और परंपराओं की स्थापना की. सबसे बड़ा काम जो नूमा ने किया था, वह रोमन कैलेंडर को व्यवस्थित करना था. उन्होंने वर्ष में 12 चंद्र मास जोड़े और जनवरी (Janus) व फरवरी (Februa) महीनों को शामिल किया. इस सुधार से रोमन कैलेंडर अधिक सटीक हुआ और धार्मिक उत्सवों का निर्धारण किया गया. असल में, नूमा पोंपिलियस से पहले, रोमन कैलेंडर सरल भले ही था, लेकिन व्यावहारिक नहीं था. इस कैलेंडर रोम के संस्थापक राजा रोमुलस ने बनाया था. इसे रोमुलन कैलेंडर (Romulan Calendar) कहते थे जो उस दौरान भी खामियों से भरा था. इसमें तब साल में 10 ही महीने हुआ करते थे.
यह 304 दिनों का साल था, और शेष 61 दिनों को कैलेंडर में गिना ही नहीं जाता था. ये 61 दिन सर्दियों के दौरान आते थे और उन्हें अनिश्चित और असंगठित माना जाता था.
10 महीनों के नाम और उनकी लंबाई इस प्रकार थी:
मार्टियस (Martius) – 31 दिन
अप्रिलिस (Aprilis) – 30 दिन
माईयस (Maius) – 31 दिन
जूनियस (Junius) – 30 दिन
क्विंटिलिस (Quintilis) – 31 दिन
सेक्सटिलिस (Sextilis) – 30 दिन
सेप्टेम्बर (September) – 30 दिन
ऑक्टोबर (October) – 31 दिन
नोवेम्बर (November) – 30 दिन
डिसेम्बर (December) – 30 दिन
पहला महीना मार्टियस (Martius) था, जिसे युद्ध के देवता मार्स (Mars) के नाम पर रखा गया था।
प्राचीन कैलेंडर में नहीं शामिल था सर्दियों का मौसम
सर्दियों के महीने (जनवरी और फरवरी) को कैलेंडर में शामिल नहीं किया गया था. इन महीनों को "समय के बाहर" माना जाता था, क्योंकि वे कृषि और सैन्य गतिविधियों के लिए महत्वहीन थे, लेकिन इसकी वजह से वर्ष का कुल समय सूर्य वर्ष (365.25 दिन) से मेल नहीं खाता था. शेष 61 दिन "समयहीन" रहते थे, जिससे सामाजिक और धार्मिक गतिविधियां असंगठित हो जाती थीं.
कैसे किया गया महीनों में बदलाव?
रोमन समाज भी कृषि पर आधारित था, लेकिन इस कैलेंडर में खेती और मौसम के बदलावों को सही ढंग से नहीं दर्शाया गया था. यह कैलेंडर न चंद्र वर्ष (354 दिन) से मेल खाता था और न ही सौर वर्ष (365.25 दिन) से. नूमा ने सर्दियों के 61 दिनों को दो नए महीनों, जनवरी (Januarius) और फरवरी (Februarius) में बांटा गया. इससे कैलेंडर को 12 महीनों और लगभग 355 दिनों का बनाया गया. नूमा ने कैलेंडर को चंद्रमा के चक्रों के करीब लाने की कोशिश की. उसने महीनों को 29 और 31 दिनों का बनाया. साल को सौर वर्ष के करीब लाने के लिए हर दूसरे साल में "मर्केडोनियस" (Mercedonius) नामक एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता था.
विकास पोरवाल