मशहूर शायर, गीतकार और रंगकर्मी इरशाद ख़ान 'सिकंदर' का 42 साल की उम्र में निधन

मशहूर शायर, गीतकार और नाटककार इरशाद खान सिकंदर का निधन हो गया है. 42 साल के इरशाद खान सिकंदर का इंतकाल दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ. उनके निधन की खबर से साहित्य और नाट्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई.

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Irshad Khan Sikandar Irshad Khan Sikandar

संजय शर्मा / मोहम्मद साक़िब मज़ीद

  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2025,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

मशहूर उर्दू शायर, गीतकार व रंगकर्मी इरशाद ख़ान सिकंदर (Irshad Khan Sikandar) नहीं रहे.  18 मई को शाम क़रीब 6 बजे उनका इंतकाल हो गया. उनकी बहन परवीन ख़ान और बेटे अरमान के द्वारा किए गए फ़ेसबुक पोस्ट में इस बात की जानकारी दी गई. उन के परिजनों ने उनकी अचानक मौत के पीछे का कारण दिल का दौरा बताया.

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इरशाद ख़ान सिकंदर समकालीन उर्दू शायरी की प्रमुख आवाज़ थे. उर्दू शायरी और शायरों के जीवन पर आधारित नाटक रचने के साथ ही उन्होंने बहुत सी हिंदी फ़िल्मों में गीत भी लिखे. उन्होंने भोजपुरी सिनेमा व संगीत में भी उल्लेखनीय काम किया.

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वॉयस ओवर में भी महारत...

इरशाद ख़ान सिकंदर का जन्म 8 अगस्त, 1983 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्होंने बहुत कम वक़्त में उर्दू, हिंदी, भोजपुरी के साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में अपनी पुख़्ता पहचान बनाई. शायर और गीतकार होने के अलावा उन्हें वॉयस ओवर पर भी महारत हासिल थी. उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण साहित्यिक पुस्तकों का संपादन भी किया.

इरशान ख़ान सिकंदर की क़लम से निकली कई कहानियाँ साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर सुर्ख़ियों में आ चुकी हैन. राजपाल एंड संस पब्लिकेशन से प्रकाशित उनके दोनों ग़ज़ल संग्रह ‘दूसरा इश्क़’और 'आँसुओं का तर्जुमा' साहित्य प्रेमियों के बीच ख़ासे मक़बूल हैं. 

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आँसुओं का तर्जुमा’ को सम्मान...

हाल ही में इरशाद ख़ान सिकंदर के शायरी संग्रज्ञ ‘आँसुओं का तर्जुमा’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय शिवना कविता सम्मान’ से नवाज़ा गया था. उन का लिखा नाटक ’जौन एलिया का जिन’ प्रसिद्ध शायर जौन एलिया की ज़िंदगी पर आधारित है.

 

‘अंतर्राष्ट्रीय शिवना कविता सम्मान’ के साथ इरशाद ख़ान सिकंदर

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'ठेके पर मुशायरा' नाटक ने बटोरीं सुर्खियां 

इरशाद ख़ान सिकंदर के द्वारा लिखे गए नए कलेवर के नाटक 'ठेके पर मुशायरा' को हाल-फिलहाल में साहित्यिक दुनिया की चर्चाओं में स्थान मिला. यह नाटक अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था. इस नाटक का निर्देशन दिलीप गुप्ता ने किया था. Akrafter The Art Council और Cyclorama के द्वारा प्रोड्यूस किया गया 'ठेके पर मुशायरा' एक ऐसा नाटक था, जो हिंदी थिएटर की दुनिया में एक नया टेस्ट लेकर आया है. इरशाद ख़ान सिकंदर ने इसके ज़रिए साहित्यिक और अदबी ख़ुशी देने के साथ दर्शकों को गुदगुदाने की कोशिश की थी.

 
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