देश में औषधीय पौधों की खेती की उपयोगिता बढ़ी है. कम लागत में बढ़िया मुनाफे के चलते बड़ी संख्या में लोग इन पेड़-पौधों की खेती की तरफ दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं. किसान बकायन नाम के औषधीय पेड़ की खेती करके भी बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. इस पेड़ के इस्तेमाल से कई सारी बीमारियों से राहत मिलती है. मुंह के छाले से लेकर मोतियाबिंद तक की बीमारी से भी निपटने में इस पौधे की छाल और पत्तियां सहायक है.
पहले तैयार करें नर्सरी
बकायन का पेड़ 0-47 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी तरह विकास करता है. इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसकी नर्सरी लगाने से पहले खेत की 2-3 बार अच्छी तरह जुताई कर खेत को समतल करना चाहिए. बकायन की नर्सरी मई-जून में लगाते हैं. पेड़ से पके हुए बीज इकट्ठा करके छिल्का उतारें, फिर पानी से साफ करें. उसके बाद 3-7 दिनों तक छांव में सुखाएं. 10 मीटर लंबे, एक मीटर चौड़े और 15 सेंमी ऊंचे बेड बनाना चाहिए. फिर इस बेड पर निश्चित दूरी पर बीजों की बुवाई कर दें. 10 से 12 दिनों में बेड पर अंकुरण हो जाएगा. तकरीबन 50 दिनों तक बीज से उगे पौधे को बेड पर ही रहने दें.
इस वक्त लगाएं पौधे
इन पौधे को खेतों में जुलाई-अगस्त में दौरान लगाना चाहिए. पौधे का रोपण, ब्लॉक रोपण के लिए 3 x 3 मीटर या 5 x 5m के अंतर पर लगाएं. जिस खेत में बकायन का पौधा लगाएं वहां अच्छी जल निकासी का इंतजाम होना चाहिए. बकायन के पौधे को कम पानी की जरूरत होती है, पहली बारिश, मौसम और मिट्टी में नमी के अनुसार इसकी सिंचाई करनी चाहिए.
बढ़िया है मुनाफा
बकायन का पेड़ तकरीबन 20 साल तक जिंदा रहता है. इसके बीज और पत्तियों का इस्तेमाल कई बीमारियों को सही करने में किया जाता है. वहीं, इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में करके बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है.