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विदेश जाकर किसान ने सीखी आधुनिक खेती, घर की छत पर बनाया अंगूर का बगीचा, लाखों की कमाई का दिया नुस्खा

Grapes Garden: 58 वर्षीय भाऊसाहेब कांचन ने आजतक से बातचीत के दौरान बताया कि उसके पास साड़े तीन एकड़ जमीन है, जिसपर वह गन्ने की खेती करते हैं. कुछ साल पहले भाऊसाहेब  के मन में विचार आया कि घर के बाहर जाए बगैर कैसे यहीं पर कुछ उगाया जाये. 

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grape garden on terrace
grape garden on terrace
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भाऊसाहेब ने छत पर अंगूर की खेती की
  • अंगूर के बीज से दवाई भी बनाई जाती है

Rooftop Grapes Gardening: पुणे सोलापुर हाइवे पर स्थित गांव उरलीकांचन में एक व्यक्ति ने उसके घर के 32 फ़ीट ऊपर, छत पर अंगूर का बगीचा बनाया है. 58 वर्षीय भाऊसाहेब कांचन ने आजतक से बातचीत के दौरान बताया कि उसके पास साड़े तीन एकड़ जमीन है, जिसपर वह गन्ने की खेती करते हैं. कुछ साल पहले भाऊसाहेब  के मन में विचार आया कि घर के बाहर जाए बगैर कैसे यहीं पर कुछ उगाया जाये. 

ऐसे में भाऊसाहेब सरकार की मदद से स्टडी टूर पर यूरोप चले गए. भाऊसाहेब ने बताया कि कृषि विभाग 48 किसानों को विदेश जाने का मौका देता है. स्टडी टूर का आधा खर्चा केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, पांच साल में एक दफे, इस तरह का टूर का आयोजन किया जाता है. 

भाऊसाहेब ने बताया कि इस स्टडी टूर में यूरोप के जर्मनी, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड में आधुनिक खेती कैसी की जाती है. इसके बारे में बताया जाता है.  इस टूर का प्रति व्यक्ति कर्च खर्चा डेढ़ लाख रुपये आया था. जिसमें से 75000 रुपये का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया गया. 

भाऊसाहेब ने बताया के यूरोप स्टडी टूर में उन्होंने वहां के घर के आंगन और छत पर अंगूर की खेती देखी. जिसके बाद उन्होंने भी ऐसा करने का मन बनाया. देश लौटने के बाद भाऊसाहेब ने मांजरी अंगूर संशोधन केंद्र से मांजरी मेडिका जाती के दो अंगूर के पौधे खरीदे और उन्हें घर के आंगन में लगा दिया. 

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इसके बाद भाऊसाहेब ने अगले तीन साल तक इन पौधों को गोबर से बनी जैविक खाद दी. तीन साल में पौधों ने विशाल रूप ले लिया और जमीन से 32 फुट ऊपर तीसरे मंजिल तक फैल गए. भाऊसाहेब ने यहां एक लोहे का मंडप बनाया. इस मंडप को बनाने के में 6 हजार रुपये का खर्च आया. इसमें लोहे का फ्रेम, प्लास्टिक की नेट का इस्तेमाल किया गया.  

भाऊसाहेब को पहले वर्ष 108 अंगूर के बंच ( गुच्छा ) मिले , दूसरे वर्ष छत पर लगाए हुए अंगूर के बगीचे में लगभग 300 बंच मिले और तीसरे वर्ष में 525 अंगूर के बंच आए. भाऊसाहेब बताते है कि सभी अंगूर रसीले और मीठे हैं और इनमें दवाई बनाने वाले गुण बहुत ज्यादा हैं.

भाऊसाहेब ने बताया कि इसके बीज से दवाई भी बनाई जा सकती है.  जूस निकालने ने बाद बचे हुए अंगूर चोथा बिस्किट बनाने के काम आते हैं. 525 अंगूर के बंच बाजार में बेचे जाएं तो 13 से 15 हजार रुपये की कमाई हो सकती है. एक एकड़ में लगभग 40 हजार स्क्वायर फ़ीट जमीन होती है, ऐसे में 40 X 525 गुच्छे मतलब कि 21000 अंगूर के गुच्छे, जिसकी बाजार में कीमत तक़रीबन पांच लाख रुपये है. 

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