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कृषि क्षेत्र के ICAR-ASRB सेंटर से भर्ती और रिसर्च डेटा गायब, साइबर अटैक या साजिश?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (ASRB) के सेंट्रल डेटा सेंटर से हजारों वैज्ञानिकों की भर्ती फाइलें, रिसर्च प्रोजेक्ट और संवेदनशील डॉक्यूमेंट अचानक गायब हो गए हैं. दिल्ली और हैदराबाद के डेटा सेंटर में हुए इस डेटा ब्रीच को लेकर पूर्व सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने इसे साइबर अटैक नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश बताया है और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है. वहीं, ICAR ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है.

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कृष‍ि क्षेत्र का संवेदनशील डेटा गायब. (Photo: ITG)
कृष‍ि क्षेत्र का संवेदनशील डेटा गायब. (Photo: ITG)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (ASRB) के सेंट्रल डेटा सेंटर से अचानक पूरा कोर डेटा उड़ गया है. जिसमें हजारों वैज्ञानिकों की भर्ती फाइलें, साइंटिस्ट रिकॉर्ड, रिसर्च प्रोजेक्ट, एप्लीकेशन और कम्युनिकेशन से जड़े बहेद संवेदनशील डॉक्यूमेंट शामिल हैं. हैरानी की बात ये है कि दिल्ली में डेटा डिलीट होने के कुछ दिनों बाद हैदराबाद स्थित डिजास्टर रिकवरी सेंटर (NAARM) का रिकॉर्ड भी पूरी तरह मिट गया, लेकिन मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती कर चुप्पी साध ली है.

किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, ICAR गवर्निंग बॉडी के पूर्व सदस्य और मशहूर पशु-आनुवंशिकी विशेषज्ञ वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने इसे महज साइबर अटैक नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश करार दिया है. उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है.

वेणुगोपाल बदरवाड़ा ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये डेटा अपने आप नहीं उड़ा है, बल्कि इसे जानबूझकर उड़ाया गया है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है, जिसके तार भर्तियों से जुड़े हैं.

'बेबुनियाद हैं आरोप'

उन्होंने साल 2014 से ASRB की भर्तियों का पूरा ऑडिट और रिव्यू की मांग की है. खासकर उन मामलों में जिन पर केस चल रहा है और जिन्हें एलिजिबिलिटी छूट दी गई थी. हालांक‍ि, इस बारे में जब आईसीएआर के महान‍िदेशक एमएल जाट से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'ये सब बेबुनियाद है और उन्हें (बदरवाड़ा को) ऐसा लिखने की आदत है.'

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प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में बदरवाड़ा ने कहा क‍ि इस डेटा ब्रीच से दिल्ली में मेन सर्वर और हैदराबाद में नेशनल एकेडमी ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट (NAARM) के रेप्लिकेशन सर्वर, दोनों पर असर पड़ा है.

अभी तक रिकवर नहीं हुआ ईमेल का डाटा

सूत्रों ने पुष्टि की है कि गायब डेटा में कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (ASRB) द्वारा मैनेज किए जाने वाले भर्ती रिकॉर्ड शामिल हैं, जिसमें जूनियर टेक्निकल ऑफिसर से लेकर डिप्टी डायरेक्टर जनरल (DDG) तक के पद भरे गए थे. यही नहीं जॉब एप्लीकेशन, रिसर्च-प्रोजेक्ट डोजियर और ईमेल रिपॉजिटरी भी डिलीट हो गई है. कृषि वैज्ञानिकों के ईमेल का डाटा अभी तक रिकवर नहीं हो पाया है.

कौन-कौन सा डेटा हुआ गायब

दिल्ली के IASRI में स्थित ICAR का पूरा सेंट्रल डेटा सेंटर है, जहां अप्रैल 2025 में एक साइबर अटैक हुआ था. जिसमें भर्तियों, रिसर्च प्रोजेक्ट, साइंटिक्ट प्रोफाइल, इंटरनल कम्युनिकेशन और जॉब-एप्लिकेशन से जुड़ा डेटा गायब हो गया था.

कैसे मिलेगा रिकॉर्ड?

बदरवाड़ा ने कहा क‍ि ICAR डेटा-ब्रीच, भर्ती रिकॉर्ड का मिटाना और डेटा-सेंटर में अचानक कर्मचारियों का फेरबदल, पहली नजर सिस्टम की नाकामी का बड़ा सबूत है. सबूतों का ब्रीच और बाद में उन्हें नष्ट करना असल में एक डिजिटल कवर-अप है जो शायद लंबे वक्त से आईसीएआर में चल रहे फेवरेटिज्म, नेपोटिज्म और धांधली वाली भर्तियों का जाल हो सकता है.

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उन्होंने ये भी कहा कि अगर अब आप भर्तियों का कोई रिकॉर्ड मांगेंगे तो नहीं मिलेगा, क्योंकि उसका डेटा न तो आईसीएआर के दिल्ली सर्वर में है और न ही हैदराबाद के बैकअप सर्वर में है. इस लिए पूरा मामला साजिश मालूम होता है.

बदरवाड़ा ने पीएम से मांग की है कि वह बड़े पब्लिक इंटरेस्ट में भारत की एग्रीकल्चरल रिसर्च को सुरक्षित रखने, मेरीटोक्रेसी को बचाने और अकाउंटेबिलिटी पक्का करने के लिए ASRB को खत्म कर द‍िया जाए और इसकी जगह एक ट्रांसपेरेंट, सुरक्षित और इंस्टीट्यूशनली अकाउंटेबल भर्ती सिस्टम लाना चाहिए.

'चुन-चुनकर डिलीट किया गया पूरा डेटा'

वहीं, आईसीएआर गवर्निंग बॉडी के पूर्व सदस्य ने कहा क‍ि कुछ लोग दावा करते हैं कि ASRB साफ-सुथरा है, क्योंकि डेटा डिलीट होने के खिलाफ कोई पब्लिक प्रोटेस्ट नहीं है. असल में ‘डेटा डिलीट होने से भर्तियों के रिकॉर्ड खत्म हो गए हैं. ये चुप्पी ईमानदारी नहीं, बल्कि डर दिखाती है. पूरे डेटा को चुन-चुनकर डिलीट किया गया है, जिसमें भर्त‍ियों का रिकॉर्ड भी शामिल हैं. जो कि एक सोची-समझी छेड़छाड़ है. ऐसी स्थिति में ASRB को बचाए रखना समझदारी नहीं, बल्कि नेशनल एग्रीकल्चरल गवर्नेंस के लिए खतरा है.

चौंकाने वाले आंकड़े

बदरवाड़ा ने अपने पत्र में आंकड़ों का भी जिक्र किया है जो चौंकाने वाला है. उन्होंने कहा कि आईसीएआर और एएसआरबी का मैनिपुलेशन खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है. पिछले नौ साल में एएसआरबी ने 1491 पोस्ट भरी हैं, यानी हर साल औसतन 166 रिक्रूटमेंट की गई हैं. जिनका सालाना बजट 26.49 करोड़ रुपये है. इसक मतलब ये है कि हर रिक्रूटमेंट पर औसतन 15.95 लाख का खर्च किए गए, लेकिन इसके बावजूद उसका डेटा उड़ गया. हालांकि, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

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उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी वित्तीय बर्बादी और गड़बड़ी को मंजूर नहीं किया जा सकता. उन्होंने ये भी तर्क दिया कि कोई दूसरा साइंटिफिक सिस्टम- जैसे CSIR, ICMR, DRDO और ISRO का कोई अलग रिक्रूटमेंट बोर्ड नहीं है तो फिर ICAR के ल‍िए ASRB क्यों है?.

UPSC के तहत हो भर्ती

बदरवाड़ा ने कृष‍ि वैज्ञान‍िकों की भर्ती को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के अधीन करने की मांग उठाई है. साथ ही ICAR के अंदर एक ट्रांसपेरेंट, नियम-बेस्ड कैडर और डेटा-मैनेजमेंट सिस्टम बनाने की मांग की है, जिसमें सख्त डेटा सिक्योरिटी, ऑडिट ट्रेल्स और थर्ड-पार्टी की निगरानी हो.

कार्रवाई के नाम पर लीपापोती

जुलाई 2025 में एक 6-सदस्यीय कमेटी बनाई गई. उसकी सिफारिश पर IASRI डायरेक्टर को रिटायरमेंट से 3 दिन पहले हटा दिया गया. इसके अलावा जांच की सिफारिशों के तहत डेटा सेंटर से जुड़े दो प्रिंसिपल साइंटिस्ट का ट्रांसफर कर दिया गया और पूरा मामला क्लोज हो गया.

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