ईशान और रश्मि की शादी चार महीने पहले ही हुई थी. किसी भी नवविवाहित जोड़े की तरह वे घूमने की प्लानिंग कर रहे थे ताकि कामकाज के दबाव से मुक्त रहकर एक-दूसरे के साथ वक्त बिता सकें...एक दूसरे को और ज्यादा जान-समझ सकें. लेकिन किस्मत ने इनकी कहानी कुछ और ही लिख रखी थी. अचानक देश में कोरोना ने दस्तक दी और दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में काम करने वाला ये डॉक्टर कपल पीपीई(पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट) किट ओढ़कर अपने काम पर जुट गया. जिंदगी के सुनहरे सपनों को हकीकत में बदलने का प्लान फिलहाल के लिए मुल्तवी है. हालांकि जान बचाने का डॉक्टर का फर्ज वैवाहिक रिश्तों के बीच दीवार नहीं बन गया है. वो इन चुनौतीपूर्ण और जोखिमभरे हालात में इन रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ रहा है. जहां एक-दूसरे का भरोसा है, ख्याल और देखभाल है तो जल्द ही हालात सुधरने की आस भी है. (फोटो में ईशान और रश्मि)
कोरोना से बचने के लिए डॉक्टरों को पीपीई पहनने की जरूरत होती है. इसे काफी सतर्कता के साथ पहनना और उतारना होता है. डॉ. ईशान रोहतगी और डॉ. रश्मि मिश्रा इस काम में भी एक-दूसरे की बखूबी मदद करते हैं. जब कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई थी तो रश्मि और ईशान की शादी को सिर्फ चार महीने हुए थे. एलएनजेपी हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर होने की वजह से दोनों को कोविड-19 की ड्यूटी पर लगाया गया.
हालांकि, शादी के बाद कपल इस साल खूब ट्रैवल करना चाहता था. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उन्हें सारी योजना बदलनी पड़ी. एलएनजेपी यानी भारत के सबसे बड़े कोविड-19 हॉस्पिटल में काम करने के दौरान रश्मि और ईशान को संक्रमण के खतरे की वजह से परिवार से दूर एक गेस्ट हाउस में रहना पड़ रहा है. (फोटो में हॉस्पिटल में ईशान से बात करतीं रश्मि (दाएं)
रश्मि और ईशान को ये भी खतरा रहता है कि किसी एक को संक्रमण होने के बाद वे खुद दूसरे को संक्रमित ना कर दें. रश्मि कहती हैं- 'मैं इस ड्यूटी से खुद को अलग कर सकती थी, यह कहकर कि हम परिवार शुरू करना चाहते हैं. प्रेग्नेंट डॉक्टर को ड्यूटी पर नहीं रखने का नियम है.' ईशान स्वीकार करते हैं - 'हमने इस्तीफा देकर साथ रहने के बारे में भी सोचा, लेकिन हमारे जमीर ने इसकी इजाजत नहीं दी.' दोनों ने एक स्वर में कहा कि यह युद्ध जैसा था और हमें महसूस हुआ कि जब हमारी सबसे अधिक जरूरत है, हम भाग रहे हैं.
दोनों एलएनजेपी हॉस्पिटल के एक ही वार्ड में काम करते हैं. दोनों की बारी-बारी से 6 और 12 घंटे की शिफ्ट होती है. इस दौरान 4 से 5 घंटे तीन लेयर के पीपीई पहनकर मरीजों को देखना होता है. पीपीई की वजह से शरीर में कोई हवा पास नहीं करती. शरीर गर्म हो जाता है. हालांकि, एक वार्ड में काम करने के बावजूद, दोनों डॉक्टरों की शिफ्ट हमेशा एक साथ नहीं होती. नाइट शिफ्ट करके जब ईशान गेस्ट हाउस पहुंचते हैं, रश्मि जाने की तैयारी कर रही होती हैं. (मरीज की जांच करतीं रश्मि)
टाइट फिट होने की वजह से 10 मिनट पहनने पर ही प्रोटेक्टिव चश्मे के ऊपर धुंध होने लगता है, फिर कुछ भी देखने में दिक्कत आती है. पीपीई से स्किन पर रैश भी होने लगते हैं. पीपीई में होने के दौरान डॉक्टर पानी भी नहीं पी पाते. दो लेयर के फेस मास्क की वजह से उन्हें वही हवा सांस में खींचनी पड़ती है जो वे छोड़ते हैं. ईशान कहते हैं कि कोविड-19 से पहले 24 से 36 घंटे की शिफ्ट होती थी. कई बार 48 घंटेकी भी. लेकिन कोविड-19 की 6 घंटे की शिफ्ट करने के बाद उनकी इच्छा होती है कि वापस पुरानी लंबी शिफ्ट शुरू हो जाएं.
ईशान कहते हैं कि सबसे बुरा तब होता है जब सामान्य लक्षण वाले युवा मरीज की हालत अचानक खराब हो जाती है. जब तक उन्हें ICU में शिफ्ट करने की कोशिश होती है, उससे पहले ही उनकी मौत हो जाती है. वे कहते हैं कि परिवार वालों को मौत के बारे में बताना काफी तकलीफदेह होता है.
संक्रमण के खतरे की वजह से जब सरकार ने डॉक्टरों को अलग-अलग फाइव स्टार होटल में ठहरने की सुविधा दी है तो दोनों साथ क्यों रहते हैं, इस सवाल के जवाब में रश्मि कहती हैं - 'क्योंकि हम नहीं सोचते कि हमारी जिंदगी इस दौरान अलग-अलग है. अगर उसे कुछ होता है तो मैं पीपीई के पीछे नहीं छिपूंगी. मैं उसके साथ होऊंगी.' ईशान भी यही बात दोहराते हुए कहते हैं कि अगर कोरोना भी हो जाए तब भी हम एक-दूसरे के साथ होना चाहते हैं.' (एलएनजेपी हॉस्पिटल में छोटा का ब्रेक लेतीं रश्मि)
रश्मि कहती हैं कि पहले बहस होती थी तो हमलोग कई दिनों तक रूठे रहते थे. लेकिन अब हम एक दूसरे की डायट, हेल्थ और ज्यादातर सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं. इससे हम एक-दूसरे के करीब आए हैं. (फोटो में अपने गेस्ट हाउस में कपल)
खास बात ये है कि दोनों में से कोई एक कोरोना से संक्रमित होता है और
अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है तो बतौर डॉक्टर दूसरे को उसके पास
जाने की इजाजत मिल सकती है. यह छोटी सी सुविधा उनके डर को कुछ हद तक कम
करती है. डर को कम करने की ये सुविधा इनके लिए एक पीपीई की तरह ही है जो
हमेशा उनके साथ रहती है. (फोटो में गेस्ट हाउस के गार्डन में कपल)
(इन फोटोज को डॉक्टर्स ने मोबाइल फोन से खींचा है. इस दौरान इंडिया टुडे के ग्रुप फोटो एडिटर बंदीप सिंह ने उन्हें बाहर से निर्देश दिए.)