तनाव को अपने से दूर रखने के लिए हरसंभव उपाय करना जरूरी है, क्योंकि अक्सर लोग तनाव को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन शरीर पर इसके कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं और सेहत को नुकसान हो सकता है.
डॉ एके सिन्हा कहते हैं ‘‘तनाव की अवस्था में शरीर में एड्रेनेलिन और कॉर्टीसोल जैसे हार्मोन बनने लगते हैं, हृदय की गति तेज हो जाती है. पाचन-क्रिया मंद पड़ने लगती है, रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है और तंत्रिकाओं का कामकाज प्रभावित होने लगता है. एक साथ इतने परिवर्तनों का निश्चित रूप से सकारात्मक असर तो नहीं होगा.’’
डॉ विजय गोयल कहते हैं ‘‘तनाव जीवन का एक अभिन्न भाग है. हमारे देश की आबादी ही सबसे बड़ा तनाव का कारण है. न आबादी इतनी होती, न समस्याएं होतीं और न ही तनाव होता, लेकिन हमें तनाव से बचने के प्रयास करने चाहिए. तनाव न केवल व्यक्ति को बल्कि पूरे परिवार को प्रभावित करता है.’’
मनोविज्ञानी प्रमिला जैन कहती हैं ‘‘तनाव के कई कारण हो सकते हैं. व्यक्ति का स्वभाव कब, क्या पसंद करे और कब किस बात की नापसंदगी तनाव का कारण बन जाए, कहा नहीं जा सकता. लेकिन कोशिश यही करनी चाहिए कि तनाव से बचें और इसे खुद पर हावी न होने दें.’’