कार्यक्रम लोक संगीत का था, लेकिन लहरा रही थी बंदूके. जहां संगीत की धुन सुनाई देनी चाहिए, वहां गोलियों की गूंज सुनाई दे रही थी. जहां गीत और नृत्य का धूम-धड़ाका होना चाहिए, वहां गोलियों की धायं-धायं हो रही थी. सैकड़ों की भीड़ के बीच हवाई फायरिंग की ये जोखिम जानलेवा हो सकती थी. हवा में हो रहे ये धमाके किसी की जिंदगी खत्म कर सकते थे, लेकिन जब समझदारी पर झूठी शान का मुलम्मा चढ़ जाए, तो लोग ऐसे खतरों की परवाह कहां करते हैं. देखिए पूरा वीडियो.....