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अब उत्तराखंड की MA पास 'चायवाली' से मिलिए, आप भी करेंगे हौसले को सलाम

अंजना 17 साल की उम्र से चाय की दुकान चला रही हैं. वह कहती हैं पिताजी के जाने के बाद से मैंने दुकान की पूरी जिम्मेदारी ले ली थी. खुद की पढ़ाई पूरी करते हुए अपनी बहन की शादी करवाई. अंजना का कहना है कि पहले लोग कुछ भी कह जाते थे, लेकिन वही लोग आज दुकान पर आकर चाय पीते हैं.

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अपनी चाय की दुकान पर मौजूद अंजना रावत.
अपनी चाय की दुकान पर मौजूद अंजना रावत.

उत्तराखंड की चायवाली अंजना रावत की इन दिनों खूब चर्चा बटोर रही हैं. वह पिछले 12 साल से चाय बेच रही हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं. महज 17 साल की उम्र से उन्होंने पिता की चाय की दुकान पर बैठना शुरू कर दिया था. एक दिन अचानक पिता की कैंसर से जान चली गई और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अंजना पर आ गई.

आज MA पास अंजना को चाय की दुकान चलाते हुए 12 साल हो गए हैं. अंजना कहती हैं कि शुरुआत में लोग आकर कुछ भी बोल जाते थे, लेकिन अब वही लोग दुकान पर आकर चाय भी पीते हैं और तारीफ भी करते हैं.

अंजना बताती हैं, 'पहले इस दुकान को मेरे पिता गणेश चलाते थे. बाद में पिताजी कैंसर से पीड़ित हो गए. उन्होंने दुकान पर जाना बंद कर दिया. कुछ दिनों बाद पिताजी को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराना पड़ा. ऐसे मैं मैंने दुकान चलाने की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. खराब स्वास्थ्य के चलते कुछ दिनों बाद पिताजी का देहांत हो गया. ऐसे में दुकान चलाने की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई. जब मैं 17 साल की थी तब से दुकान पर बैठना शुरू किया था. समय की कमी के कारण मैं अपनी पढ़ाई भी इसी दुकान पर किया करती थी.'

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अंजना ने कहा, 'शुरुआत में जब चाय की दुकान पर बैठना शुरू किया था तब कई लोगों ने मजाक बनाया. आसपास के लोग और आते-जाते लोग फब्तियां कसते हुए अक्सर कहते थे कि यह लड़कों वाले काम है, इतने बुरे दिन भी नहीं आए कि लड़की की दुकान पर चाय पीएंगे.'

लेकिन इन बातों से वह कभी निराश नहीं हुई. उन्होंने हिम्मत हारे बिना अपना काम जारी रखा. वह कहती हैं कि समाज ने हर काम को लड़का और लड़की के दायरे में बांट रखा है. काम कभी छोटा बड़ा या जेंडर स्पेसिफिक नहीं होता. इसी सोच के साथ वे आगे बढ़ती गईं.

बहन की शादी कराई, खुद किया MA
इसी चाय की दुकान के सहारे ही अंजना ने अपनी बहन की शादी कराई है. साथ ही एमए की पढ़ाई भी पूरी की. अंजना बताती हैं कि घर बनवाने के लिए लोन लिया है और बाकी चीजों का खर्चा भी उठाती हूं. वह दुकान के जरिए ही अपना घर परिवार चला रही हैं.

यह है अंजना का सपना
आज अंजना की दुकान को 12 साल हो चुके हैं. उनकी परिस्थितियों में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आया लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. उनका सपना है कि वह और पढ़ाई करके अच्छी नौकरी करें. मुस्कुराकर, आंखों में आंसू लिए चायवाली अंजना कहती हैं, 'मेरा सफर संघर्षों भरा जरूर रहा, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी. आगे मेरी यात्रा जारी रहेगी लेकिन मैं अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहती हूं, जिंदगी में कुछ बनना चाहती हूं जिससे अपनी मां को एक बेहतर जिंदगी दे सकूं.'

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