तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 30 करोड़ रुपये के एक बड़े अवैध सरोगेसी रैकेट का खुलासा किया है. जिला जांच एजेंसी ने डॉ. पचीपल्ली नम्रता के खिलाफ कार्रवाई की, जिनका 'यूनिवर्सल सृष्टि फर्टिलिटी एंड रिसर्च सेंटर' नाम से फर्टिलिटी क्लिनिक का जाल चलाने का आरोप है.
डॉ. नम्रता और उनके साथियों पर आरोप है कि वे बच्चों की अवैध सरोगेसी और मानव तस्करी का बड़ा नेटवर्क चला रहे थे. आरोप है कि वे जोड़ों से 30 लाख तक लेते थे, जिसमें आधा चेक से और आधा नकद दिया जाता था, जिसका एक हिस्सा सरोगेट मां को दिया जाता था.
जोड़ों को बताया जाता था कि उनकी अपनी ही अंडाणु और शुक्राणु से भ्रूण बनाए जाएंगे और स्वस्थ बच्चा दिया जाएगा, लेकिन जांच में यह सामने आया कि कई बार मिले बच्चे वांछित माता-पिता के जैविक नहीं थे.
गरीब महिलाओं को जो पहले से गर्भवती थीं, नकदी देकर तस्करी के लिए मजबूर किया जाता था कि वे बच्चे पैदा करने के बाद तुरंत बच्चा त्याग दें.
ऐसे खुला राज
ED ने 25 सितंबर को हैदराबाद, विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम की नौ जगहों पर छापे मारे. छापे में ऐसे दस्तावेज मिले जो बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को साबित करते हैं.
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एक विदेशी जोड़े को इस फर्जीवाड़े का पता तब चला जब उनका बच्चे का पासपोर्ट डीएनए टेस्ट में बच्चे का जैविक संबंध न होने के कारण रद्द कर दिया गया.
यह रैकेट पिछले दस सालों से देश में कई शहरों में काम कर रहा था. प्राप्त राशि में से कुछ एजेंट और सरोगेट माताओं को दी जाती थी, लेकिन ज़्यादातर पैसा डॉ. नम्रता अपने निजी खर्चों और संपत्तियों पर खर्च करती थीं.
ED ने बताया कि डॉ. नम्रता कानूनी दिखावा करने के लिए समझौते बनाती थीं जिसमें ऐसा कहा जाता था कि सरोगेसी जोड़े और मां खुद क्लिनिक से संपर्क कर चुके हैं, जबकि असल में यह धोखाधड़ी थी. जांच जारी है और आगे भी गिरफ्तारी और संपत्तियों ज़ब्ती की संभावना है.