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एक कदम आगे बढ़ा पाकिस्तान, सियाचिन में भारतीय फौज के खिलाफ एक्टिव रहे जंजुआ ने अब की बातचीत की पहल

पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट और नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने वाले जंजुआ ने जब सेना में अफसर के तौर कमीशन हासिल किया तो उनकी पहली तैनाती पंजाब रेजिमेंट में हुई.

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ (File Pic)
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ (File Pic)

उरी में आर्मी कैंप पर आतंकी हमले और उसके बाद पीओके में भारतीय फौज की सर्जिकल स्ट्राइक से पैदा हुए तनाव के बीच पाकिस्तान की ओर से बातचीत की पहल हैरान करने वाली है. क्योंकि यही पाकिस्तान दो दिनों पहले तक परमाणु हमले की गीदड़ भभकियां दे रहा था. पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ की अजीत डोभाल से फोन पर बात की खबर दोस्ती और दगाबाजी के पुराने आजमाये हुए खेल की तरह है. पाकिस्तान एक ओर रिश्ते बेहतर करने की बात करता है और उधर आतंकी फिर से भारत पर हमला करते हैं.

बहरहाल तमाम तल्खियों, आतंकी घुसपैठ की नई कोशिशों और बयानबाजियों के बीच पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की पहल करने वाले जंजुआ के बारे में जानना भी दिलचस्प होगा. करीब साल भर पहले पाकिस्तानी फौज से रिटायर होने के बाद एनएसए की जिम्मेदारी संभालने वाले नासिर खान जंजुआ वो अफसर हैं, जो सैन्य अफसर के अपने करियर के दौरान सियाचिन में भारतीय फौज के खिलाफ बेहद सक्रिय रहे.

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पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट और नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने वाले जंजुआ ने जब सेना में अफसर के तौर कमीशन हासिल किया तो उनकी पहली तैनाती पंजाब रेजिमेंट में हुई. जंजुआ साल 2005 में पाकिस्तान में आए भीषण भूकंप में पीओके में राहत कार्यों की देखरेख से लेकर क्वेटा में पाकिस्तानी फौज की बारहवीं कोर के कमांडर के अलावा नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट भी रहे.

10 साल पहले भी मध्यस्थ बने जंजुजा
जंजुआ साल 2006 में पाकिस्तान के डीजीएमओ बने और ले. जनरल अहमद शुजा पाशा के नीचे रहकर फौज की सेवा की. पाशा बाद में आईएसआई के मुखि‍या बने थे. जंजुआ एलओसी पर होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए 23 मई 2006 को भारतीय सेना के साथ बातचीत की मेज पर भी बैठे थे. आज जब सरहद पर माहौल गर्म है, तो पाकिस्तान ने उन्हें ही भारत के एनएसए से बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी है.

मुंबई हमले के समय मिली थी बड़ी जिम्मेदारी
जंजुआ 2007 में मेजर-जनरल के रैंक पर प्रमोट हुए और डीजीएमओ में डीजी बनाए गए. हालांकि, उनका यह कार्यकाल ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और उन्हें 17वीं इंफैंट्री डिविजन में तैनात कर दिया गया. 2007 से 2008 तक मेजर जनरल जंजुआ स्वात में तमाम ऑपरेशनों में हिस्सा लिया और 2007 में ऑपरेशन 'राह-ए-हक' की निगरानी की. इस ऑपरेशन के बाद जंजुआ का डिविजन पहली स्ट्राइक कोर में बदल दिया गया जो भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात थी. 2008 में मुंबई हमलों के बाद भारतीय सेना की तरफ से किसी पलटवार को लेकर जंजुआ की सेना बेहद सतर्क थी.

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अक्टूबर 2015 में जंजुआ जब फौज से रिटायर हुए तो उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए पाकिस्तान का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया. जंजुआ के एनएसए बनने के बाद सरताज अजीज की जिम्मेदारियों का बोझ कम हुआ और वो अब अपना पूरा फोकस विदेश नीति पर कर रहे हैं. जंजुआ की नियुक्ति से गृह मंत्री निसार अली खान के कंधे से कुछ बोझ भी कम हुआ.

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