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राजस्थान: कोरोना वॉरियर्स हो गए बेरोजगार, बोले- इच्छामृत्यु के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखेंगे

ये वहीं कोरोना वरियर्स हैं जिन्हें साढ़े पांच साल पहले भीलवाड़ा ज़िले में ग्रामीण से लेकर शहरी सरकारी अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त किया गया था. इन्हीं आयुषकर्मियों की वजह से कोरोना काल में भीलवाड़ा मॉडल इतना फेमस हो पाया था.

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योग गुरु और फार्मासिस्ट विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
योग गुरु और फार्मासिस्ट विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना वॉरियर्स हो गए बेरोजगार
  • इच्छामृत्यु की मांग कर रहे कोरोना वॉरियर्स
  • 10 हजार पद खाली, फिर भी नौकरी नहीं

कोरोना काल में कोरोना वरियर्स ने जबरदस्त काम किया है. उनकी सेवा की वजह से ही कई लोगों की जान भी बची है और उन्हें समय रहते इलाज भी मिला है. लेकिन कई ऐसे कोरोना वरियर्स भी हैं जो इस कोरोना काल में बेरोजगार हो गए हैं. उनके पास ना काम है और ना ही कोई पैसे कमाने का साधन. ऐसा ही कुछ राजस्थान में होता दिख रहा है जहां पर पिछले कुछ दिनों से कुछ योग गुरु और फार्मासिस्ट विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

कोरोना वॉरियर्स कैसे हो गए बेरोजगार?

ये वहीं कोरोना वरियर्स हैं जिन्हें साढ़े पांच साल पहले भीलवाड़ा ज़िले में ग्रामीण से लेकर शहरी सरकारी अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त किया गया था. इन्हीं आयुषकर्मियों की वजह से कोरोना काल में भीलवाड़ा मॉडल इतना फेमस हो पाया था. लेकिन अब इन्हीं आयुषकर्मियों को उनके काम से मुक्त कर दिया गया है.

आयुष मंत्रालय से पत्र आया है कि आपकी सेवा समाप्त की जाती है. अब अचानक से आए इस पत्र ने कई कोरोना वरियर्स की जिंदगी हमेशा के लिए बदलकर रख दी है. वे दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए हैं.

इच्छामृत्यु की मांग क्यों?

हनुमानगढ़ ज़िले की रहने वाली राजनीति श्रीगंगानगर से आयुर्वेद की पढ़ाई कर डॉक्टर बनी हैं. साढ़े पांच साल पहले भीलवाड़ा के सरकारी अस्पताल में नौकरी मिली थी. अब शादी कर घर बसाने की तैयारी थी मगर इसी बीच अचानक से केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय का ये पत्र आ गया.

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रजनी के अलावा योग गुरू वन्दना वैष्णों के दो बच्चे हैं. पति पंचायत सहायक हैं जिन्हें दो महीने से पगार नहीं मिली है, वन्दना की सैलरी से ही घर का चूल्हा जल रहा था,अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चों को कैसे पालें. विरोध कर रहे हर फ्रंटलाइन वॉरियर की ऐसी ही कहानी, सभी का अपना एक दर्द है, लेकिन सुनवाई कही नहीं हो रही.

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10 हजार पद खाली, फिर भी नौकरी नहीं

इसी वजह से उनकी तरफ से हर जगह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. बीजेपी दफ्तर के बाहर भी इसलिए विरोध का बिगुल बजाया जा रहा है. अगर यहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उनकी तरफ से राष्ट्रपति को भी चिट्ठी लिखी जा सकती है. इच्छामृत्यु की अपील की जा सकती है. जानकारी के लिए बता दें कि आयुर्वेद में 10 हजार पद खाली पड़े हैं, लेकिन अभी तक भर्तियां नहीं निकाली गई हैं, इसी वजह से ये कोरोना वॉरियर्स कोरोना काल में ही बेरोजगार हो गए हैं.

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