राजस्थान में फोन टैपिंग को लेकर सियासी घमासान मचा है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधानसभा में सरकार की ओर से फोन टैपिंग की बात स्वीकार किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा मांग रही है. बीजेपी इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग कर रही है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि उन्हें जो कहना था, वह पहले ही कह चुके हैं.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि फोन टैपिंग को लेकर विधानसभा में 14 अगस्त 2020 को ही अपनी पूरी बात रख चुका हूं. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ये बीजेपी का आपसी झगड़ा है. वर्चस्व की लड़ाई है. इसमें बेवजह के मुद्दे बनाए जा रहे हैं. अनावश्यक रूप से हाउस को डिस्टर्ब किए जाने की कोशिश है.
सीएम गहलोत ने इस मसले पर ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार को भी लपेटे में ले लिया. गहलोत ने कहा कि मैं खुद केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा हूं. आज पूरा देश डरा हुआ है. लोग फोन पर बात करने से डरते हैं. वे इस डर से वॉट्सएप या फेसटाइम से जुड़ने के लिए कॉल करते हैं कि उनकी बातचीत टैप हो रही है. राजस्थान में ऐसी कोई परंपरा नहीं है. टेलीफोन इंटरसेप्ट करने के लिए कानून हैं और इन कानूनों के तहत ही टेलीफोन इंटरसेप्ट किए जाते हैं.
Telephones are intercepted after approval of the competent authority under the provisions of Indian Telegraph Act 1885, Indian Telegraph (Amendment) Rules-2007 and IT Act 2000. The Govt. does not interfere in it at all.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 16, 2021
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वहीं, गहलोत सरकार के मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा ने कहा कि सरकार को कभी भी सांसदों, विधायकों के टेप फोन नहीं मिले. उन्होंने आजतक से बात करते हुए कहा कि फोन टैपिंग को लेकर पूरे हंगामे के पीछे बीजेपी की आतंरिक राजनीति है. डॉक्टर शर्मा ने कहा कि वसुंधरा राजे का गुट केंद्रीय मंत्री को निशाना बना रहा था इसीलिए फोन टैपिंग का मसला विधानसभा में उठाया गया था.
गौरतलब है कि 14 अगस्त को अशोक गहलोत ने विधानसभा में कहा था कि राजस्थान में कभी सांसद-विधायकों के फोन टैपिंग की परंपरा नहीं रही है. तब सीएम गहलोत ने यह भी कहा था कि मैं ये कह सकता हूं कि विधायकों-सांसदों के फोन राजस्थान में टेप नहीं हुए हैं. गहलोत ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में यह भी कहा था कि मुझे क्या अधिकार है कि अपने हित के लिए झूठा टेप बनवाऊं लोगों की, सरकार बचाने के लिए. ऐसा हो तो मेरा नैतिक अधिकार है क्या कि मैं सरकार में बना रहूं.
बता दें कि फोन टैपिंग प्रकरण को लेकर राजस्थान में विवाद फिर तब शुरू हुआ, जब सरकार की ओर से विधानसभा में यह स्वीकार कर लिया गया कि फोन टैपिंग की गई. इसे लेकर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपना लिए. विपक्ष ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया.