पंजाब की राजनीति में आज एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला जब पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने पूर्व कांग्रेस विधायक नवजोत कौर सिद्धू को पार्टी से निलंबित करने का फैसला लिया. यह फैसला अचानक नहीं आया, बल्कि पिछले कुछ समय से चल रहे विवादों और पार्टी लाइन से अलग सार्वजनिक बयानबाजी को आधार बनाकर किया गया.
नवजोत कौर सिद्धू ने दावा किया था कि पंजाब कांग्रेस के भीतर सीएम सीट और टिकट के बदले करोड़ों रुपये की डील होती है. 6 दिसंबर को उनके बयान के बाद राजनीतिक माहौल बेहद गर्म हो गया और दो दिन के अंदर कांग्रेस ने एक्शन ले लिया.
नवजोत कौर सिद्धू ने आरोप लगाया कि तरनतारन उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार करणबीर सिंह बुर्ज को टिकट दिलाने के लिए 5 करोड़ रुपये लिए गए और कुल रकम 11 करोड़ रुपये तक पहुंची. उनका दावा था कि यह काम वरिष्ठ नेताओं की जानकारी में हुआ और कई पार्षद इसके बारे में बयान देने को भी तैयार हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास कॉल रिकॉर्डिंग मौजूद है.
उनके आरोपों पर विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़, जो पहले कांग्रेस में थे, बोले कि उन्होंने भी ऐसी ही रकम की चर्चाएं सुनी थीं. केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने दावा किया कि कांग्रेस में 2004 के बाद से हर चीज बिक्री पर है. AAP के मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सवाल किया कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों चुप क्यों थीं.
यह भी पढ़ें: नवजोत कौर का बयान सिद्धू की एंट्री तो रोकेगा ही, कांग्रेस की सत्ता वापसी में मुश्किलें बढ़ा न दे?
कांग्रेस के कई नेताओं ने इन आरोपों को गलत बताया. प्रगट सिंह ने कहा कि उन्हें कभी ऐसी मांग का सामना नहीं करना पड़ा और यह नवजोत कौर की निजी राय हो सकती है. कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और पार्टी विरोधी बताया. उन्होंने पूछा कि अगर इतना बड़ा भ्रष्टाचार था तो वह सालों तक चुप क्यों रहीं.
नवजोत कौर सिद्धू ने बाद में सोशल मीडिया पर सफाई दी कि उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया और कांग्रेस ने उनसे कभी कोई पैसा नहीं मांगा. हालांकि तब तक पार्टी हाईकमान ने कार्रवाई कर दी थी.
यह विवाद सिद्धू दंपति और कांग्रेस के रिश्तों पर नए सवाल खड़ा करता है. नवजोत सिंह सिद्धू लंबे समय से पार्टी गतिविधियों से दूर हैं और उनकी पत्नी के हालिया बयान ने स्थिति को और जटिल बना दिया है.