महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर दिए गए बयान पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई हैं. राज ठाकरे ने हाल ही में कहा था, "मुझे सत्ता में लाओ, महाराष्ट्र में एक भी मस्जिद पर लाउडस्पीकर नहीं रहेगा. लोग सड़कों पर नमाज पढ़ते हैं. धर्म को अपने घर की चौखट से बाहर नहीं आना चाहिए." ठाकरे ने कांग्रेस, शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी राजनीति ने मुसलमानों को बढ़ावा दिया है, जिससे ऐसी गतिविधियां बढ़ रही हैं.
अबू आजमी ने दी प्रतिक्रिया
इस बयान पर समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "राज ठाकरे सस्ती शोहरत पाने के लिए ऐसी बातें करते हैं, लोग इतने भोले नहीं हैं कि उनकी बातों में आ जाएं. इन नफरत के पुजारियों की राजनीति खत्म हो जानी चाहिए." कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रमुख नाना पटोले ने कहा, "जो लोग संविधान की मान्यताओं को नहीं मानते, उनके बारे में बात करना ही व्यर्थ है. ये समाज को धर्म के आधार पर बांटना चाहते हैं, जबकि संविधान कहता है कि सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है."
भाजपा के कंकावली से उम्मीदवार नितेश राणे ने भी राज ठाकरे का समर्थन करते हुए कहा, "मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर अवैध हैं. जो कानून हिंदुओं पर लागू होता है, वही मुसलमानों पर भी लागू होना चाहिए. हमारे त्योहारों पर रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद कर दिए जाते हैं, तो फिर मस्जिदों पर क्यों नहीं? यह देश उनके अब्बा का पाकिस्तान नहीं है कि दिन में पांच बार लाउडस्पीकर बजाएं." राज ठाकरे के इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में एक बार फिर धर्म और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है.