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मप्र पुलिस का 'बजरंगी भाईजान', सालों से भटक रहे मूकबधिर युवक को परिवार से मिलवाया

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में फिल्म बजरंगी भाईजान की कहानी की तरह ही एक भटक रहे मूक-बधिर युवक को पुलिस ने उसके परिवार से मिलवा दिया है. इसके लिए उन्हें 8 महीने पुलिसकर्मी ने लगातार मेहनत की.

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पुलिकर्मी ने बिछड़े युवक को परिवार से मिलाया.
पुलिकर्मी ने बिछड़े युवक को परिवार से मिलाया.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 10 साल से भटक रहा था युवक
  • 8 महीने की मेहनत के बाद परिवार से मिलाया

मध्यप्रदेश के राजगढ़ में फिल्म बजरंगी भाईजान की कहानी असल जिंदगी में देखने को मिली है, जहां 10 साल से अपने परिवार से दूर भटक रहे एक मूक-बधिर युवक को पुलिस कांस्टेबल ने करीब 8 महीने की मेहनत के बाद उसके परिवार से मिलवा दिया.  

दरअसल, राजगढ़ जिले के ब्यावरा में तैनात पुलिस कांस्टेबल कैलाश नायक को करीब 8 महीने पहले एक मूकबधिर युवक मिला, जो पीपल चौराहे पर भूखा प्यासा बैठा हुआ था. युवक की स्थिति बेहद दयनीय थी, इसलिए उसे पुलिस थाने ले जाया गया और पूछताछ की गई लेकिन मूकबधिर होने की वजह से वो अपने बारे में कुछ बता नहीं पाया. 

पुलिस ने युवक के परिवार के बारे में पड़ताल करने की कोशिश की पर सफलता नहीं मिली. इसके बाद कांस्टेबल कैलाश, युवक को अपने घर लेकर आए और उसका नाम गजानंद रखा. कांस्टेबल कैलाश मूकबधिर युवक के फोटो को हाईवे से गुजरने वाले लोगों को दिखाते थे तो वहीं पुलिस थानों में उसका फोटो भी भेजकर पता लगाने में जुटे थे.

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इस दौरान बिहार की सिवान पुलिस ने उसके यहां मूकबधिर बालक की गुमशुदगी के बारे में बताया. जब सिवान पुलिस को फोटो भेजा गया तो उसे युवक के परिवार वालों को दिखाया जिस पर उन्होंने उसकी पहचान अपने बेटे के तौर पर की. शुक्रवार को बिहार से युवक के माता-पिता आए और अपने बेटे को साथ ले गए. उन्होंने बताया कि उनके बेटे का असली नाम अवधेश है. इस दौरान माहौल काफी गमगीन हो गया और हर किसी की आंख में युवक को उसके परिवार से मिलने की खुशी के आंसू थे. 

कैसे परिवार तक पहुंची जानकारी?

राजगढ़ एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि 'फाइनली कैलाश ने उसकी फैमिली को ढूंढ लिया. परिजनों की पहचान कर ली. इनका वास्तविक नाम अवधेश राय है. बिहार के जिला सिवान के रहने वाले हैं ओर 10 सालों से करीब अपने माता-पिता से बिछड़ चुके थे. कुछ ट्रक ड्राइवर को हमने बताया उन्होंने अपने बिहार के कांटेक्ट को यूज करते हुए हमने उनके घर वालों को ट्रेस करवाया. 

एसपी ने कहा, 'जब वीडियो कॉल पर गजानंद से उनके परिवार की बात कराई गई तो वे रोने लगे. उनके परिजन ब्यावरा आए और अवधेश को अपने साथ ले गए. हमारे आरक्षक कैलाश बहुत खुश थे क्योंकि उनका सपना था गजानन को अपने परिजनों से मिला दे. हम बहुत गर्व करते हैं हमारे बीच कैलाश जैसे लोग हैं.'  

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वहीं मूकबधिर युवक को उसके परिवार से मिलवाने वाले कांस्टेबल कैलाश का कहना है कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि गजानंद अब उनके पास नहीं रहेगा लेकिन इस बात की खुशी है कि जो सपना मैंने देखा था वो पूरा हुआ और आखिरकार उसे अपने घरवाले मिल गए. 

 

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