प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक को आज 2 मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई. मलिक को कुल 9 मामलों में सजा सुनाई गई है. इनमें से एक मामले में सबसे कम 5 साल की सजा का ऐलान किया गया है. वहीं, सबसे ज्यादा उम्रकैद की सजा का ऐलान किया गया है. ये सभी सजा एक साथ चलेंगी. कोर्ट ने मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
मलिक की सजा का ऐलान होते ही दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर मौजूद लोगों ने मिठाइयां बांटी. लेकिन अब यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या उम्रकैद मिलने के बावजूद यासीन मलिक अपनी सजा कम करा सकता है. इसके लिए उसके पास क्या-क्या विकल्प हैं.
बता दें कि वैसे तो पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ यासीन मलिक के पास ऊपरी अदालत में अपील करने का विकल्प है, लेकिन मलिक ने पहले ही कहा था कि वह उसके खिलाफ लगे आरोपों को चुनौती नहीं देगा. हालांकि, एक दूसरे रास्ते से भी सजा कम कराई जा सकती है.
दरअसल, राज्य सरकारों और राज्यपालों को एक विशेष अधिकार प्राप्त होता है. इसके तहत राज्य सरकार चाहे तो किसी भी मुजरिम की सजा की समीक्षा कर सकती है. नियमों के मुताबिक अगर राज्य सरकार या राज्यपाल चाहे तो अच्छे चाल-चलन और व्यवहार के आधार पर मुजरिम की सजा कम कर सकता है.
दुनियाभर में स्थापित किया नेटवर्क
कोर्ट ने पहले ही मलिक को दोषी ठहरा दिया था. अदालत ने माना कि मलिक ने'आजादी' के नाम जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था. NIA ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था.
2018 में फाइल की गई थी चार्जशीट
टेरर फंडिंग के इस मामले में एक दर्जन के अधिक लोगों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की गई थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट में कहा था, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया.