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Exclusive: जानें J-K में 119 एक्टिव आतंकियों के बावजूद भी घाटी में कैसे कामयाबी पा रही सेना

खुफिया रिपोर्ट्स एलओसी पर आतंकी गतिविधियों में कमी और आंतरिक इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफलता की ओर भी इशारा करती हैं. इसका श्रेय आतंकवादियों के लिए घटते स्थानीय समर्थन और अधिक प्रभावी ऑपरेशनल रणनीतियों को दिया जाता है. 

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में बड़ी संख्या में आतंकवादी मौजूद हैं. विशेष खुफिया जानकारी से पता चला है कि घाटी में 119 आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं. खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीर पंजाल रेंज के उत्तर में वर्तमान में 79 आतंकवादी एक्टिव हैं, जिनमें 18 स्थानीय और 61 विदेशी हैं. 

इस साल अब तक 24 सैनिकों ने गंवाई जान

पीर पंजाल के दक्षिण में 40 आतंकवादी सक्रिय हैं, जिनमें से 34 की पहचान विदेशी नागरिकों के रूप में और सिर्फ 6 की पहचान स्थानीय नागरिकों के रूप में हुई है. खुफिया सूत्रों ने बताया कि इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में 25 आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सबसे ताजा हमला बांदीपुर में हुआ. इनमें 24 सैनिकों और अधिकारियों ने जान गंवाई है. यह संख्या 2023 में मारे गए 27 सुरक्षा कर्मियों के करीब है.

2024 में मारे गए 61 आतंकवादी

इन चुनौतियों के बावजूद, सेना के आतंकवाद विरोधी अभियानों से अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. खुफिया इनपुट पुष्टि करते हैं कि 2024 में अब तक 61 आतंकवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें से 45 भीतरी इलाकों में और 16 एलओसी के पास मारे गए. इनमें से 21 की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गई है. यह 2023 की तुलना में बढ़ोतरी को दर्शाता है, जब 60 आतंकवादी मारे गए थे, जिनमें 35 भीतरी इलाकों में और 12 पाकिस्तानी शामिल थे.

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आतंकवाद के लिए अपने बेरोजगार युवाओं का इस्तेमाल कर रहा पाक

खुफिया रिपोर्ट्स एलओसी पर आतंकी गतिविधियों में कमी और आंतरिक इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सफलता की ओर भी इशारा करती हैं. इसका श्रेय आतंकवादियों के लिए घटते स्थानीय समर्थन और अधिक प्रभावी ऑपरेशनल रणनीतियों को दिया जाता है.

इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर में स्थानीय भर्तियों में भी गिरावट आई है. पाकिस्तान कथित तौर पर आतंकवादी समूहों को बढ़ावा देने के लिए अपने बेरोजगार और कम-शिक्षित युवाओं का इस्तेमाल कर रहा है.

LoC पर आतंकी गतिविधियों में आई कमी

एक वरिष्ठ खुफिया सूत्र ने आजतक को बताया, 'मौजूदा रुझान अभियानों में मिल रहीं सफलताओं और उभरती चुनौतियों दोनों को उजागर करते हैं. एलओसी पर आतंकी गतिविधियों में कमी और कम स्थानीय भर्ती एक सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन विदेशी आतंकवादियों, विशेष रूप से पाकिस्तान से, की लगातार मौजूदगी निरंतर सतर्कता की जरूरत पर जोर देते हैं.

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