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जम्मू: 24 घंटे में फैसला वापस, एक साल से ज्यादा समय से रह रहे लोग नहीं बन पाएंगे वोटर

जम्मू में जिला उपायुक्त अवनी लवासा ने अपने उस फैसले को वापस ले लिया है जहां कहा गया था कि एक साल से अधिक समय से जम्मू में रह रहे लोगों को वोटिंग करने का अधिकार मिलेगा. वे खुद को वोटर लिस्ट में शामिल करवा पाएंगे. बिना किसी सफाई या स्पष्टीकरण के ये फैसला वापस हुआ है.

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने की तैयारी (फाइल)
जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने की तैयारी (फाइल)

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने को लेकर तैयारियां चल रही हैं. इसी कड़ी में बुधवार को जम्मू की जिला उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी अवनी लवासा ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जो भी शख्स जम्मू में एक साल से ज्यादा समय से रहे हैं उन्हें तहसीलदार (राजस्व अधिकारी) आवास प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगे. इस आवास प्रमाण पत्र के आधार पर लोग मतदाता सूची में अपना नाम डलवा सकेंगे और वे वोट भी डाल सकेंगे. 

लेकिन जम्मू उपायुक्त के इस फैसले का जिले में जोरदार विरोध शुरू हो गया. नेशनल कॉफ्रेंस, पीडीपी ने जोरदार विरोध किया. दोनों ही पार्टियों ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के जरिए केंद्र सरकार गैर स्थानीयों को जम्मू में बंसाने की साजिश कर रही है. इससे स्थानीय संस्कृति पर चोट पहुंचेगा. राज्य की दो बड़ी पार्टियों के विरोध के बाद जम्मू उपायुक्त ने इस फैसले को वापस ले लिया है. अब तहसीलदारों को जम्मू में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे लोगों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं होगा.

क्या था जम्मू उपायुक्त का आदेश 

जम्मू की उपायुक्त ने 11 अक्टूबर को जारी अपने आदेश में कहा था कि जम्मू में वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. जम्मू में रह रहे लोग चुनाव आयोग के नियमों के आधार पर वैध दस्तावेजों के जरिये अपना आवास प्रमाण पत्र बना सकते हैं और इस प्रमाण पत्र के आधार पर मतदाता सूची में अपना नाम डलवा सकते हैं. 

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जम्मू उपायुक्त ने कहा कि ऐसे लोग जो जम्मू में रह रहे हैं लेकिन उनके पास कोई दस्तावेज मौजूद नहीं हैं ऐसे लोगों को आवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए चुनाव आयोग फील्ड वेरीफिकेशन की व्यवस्था करेगा ताकि ऐसे लोगों को आवास प्रमाण पत्र जारी किया जा सके.  

जम्मू की संस्कृति पर चोट 

इस फैसले के सामने आते ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सियासी भूचाल आया था.  नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस फैसले का विरोध किया था. जोर देकर कहा गया कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर की वोटर लिस्ट में 25 लाख नए वोटरों को जोड़ने की कवायद कर रही है.

जारी बयान में एनसी ने कहा था कि सरकार 25 लाख गैर स्थानीय लोगों को वोटर लिस्ट का हिस्सा बनाने वाली है. हम इस फैसले का विरोध करते हैं. बीजेपी चुनावों से डर रही है, उसे पता है कि वो बुरी तरह हारने वाली है. जनता को बीजेपी की इस साजिश को बैलेट बॉक्स के जरिए हरा देना चाहिए.

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए ईसीआई के नवीनतम आदेश से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू में भारत सरकार की कॉलोनी बसाने की परियोजना शुरू हो गई है. ये लोग डोगरा संस्कृति, पहचान, रोजगार और व्यवसाय को पहला झटका देंगे. जम्मू-कश्मीर के बीच धार्मिक और क्षेत्रीय विभाजन पैदा करने के भाजपा के प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए क्योंकि चाहे वह कश्मीरी हो या डोगरा, हमारी पहचान और अधिकारों की रक्षा तभी संभव होगी जब हम सामूहिक लड़ाई लड़ेंगे.

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बिना कारण बताए फैसला वापस

इस फैसले पर हंगामे के बाद जम्मू उपायुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी अवनी लवासा ने इस आदेश को बिना कारण बताए वापस ले लिया. अब जम्मू में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे लोगों को तहसीलदार आवास प्रमाण पत्र नहीं जारी कर सकेंगे.  
 

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