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'उमर खालिद पर आरोप का घटनाक्रम से तालमेल नहीं', दिल्ली हाईकोर्ट में वकील की दलील

उमर खालिद की ओर से दायर जमानत याचिका पर सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. उमर खालिद के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप और घटनाक्रम का कोई मेल नहीं है.

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दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उमर खालिद ने दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई है जमानत याचिका
  • उमर खालिद की जमानत याचिका पर अब 24 मई को सुनवाई

राजद्रोह के आरोप में जेल में बंद उमर खालिद ने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उमर खालिद की ओर से दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. उमर खालिद की ओर से त्रिदिप पेस ने दलीलें दीं. दिल्ली हाईकोर्ट में उमर खालिद की याचिका पर अब 24 मई को सुनवाई होगी. त्रिदिप पेस ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी कि उमर खालिद के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे आतंक फैलाने वाले नहीं हैं.

उमर खालिद के वकील ने दलील दी कि उसके खिलाफ पुलिस ने यूएपीए, राजद्रोह और दंगा फसाद के लिए लोगों को भड़काने के आरोप लगाए हैं. उमर खालिद पर लगाए गए आरोप का घटनाक्रम के साथ कोई तालमेल नहीं है. उमर खालिद दंगा फसाद की किसी भी घटना में मौजूद नहीं था. उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस बोल रही है कि दिल्ली में 23 जगह पूर्व नियोजित तरीके से सड़क जाम, ट्रैफिक जाम किया गया था. असल में सड़क जाम एक कानून का विरोध करने के लिए जनता ने अपनी मर्जी से किया था. उसके लिए न तो किसी ने उकसाया और न ही भड़काया.

उमर खालिद के वकील ने 2020 के दिल्ली दंगे को लेकर दायर चार्जशीट का हवाला भी दिया और कहा कि चार्जशीट पीड़ितों को लेकर मौन है. चार्जशीट सिर्फ दंगे की तैयारियों और उसमें शामिल लोगों को टारगेट करके तैयार गई है. लिहाजा हमें आतंक के शब्दजाल में नहीं फंसना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस की ओर से लगाए गए सभी आरोप बाद में गढ़े गए हैं. उमर खालिद का फोन और चैट, सबकुछ अपने कब्जे में लेकर पुलिस ने ये कहानी बुनी है.

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वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने कहा कि उमर खालिद के कहे को पुलिस ने इस कदर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है कि वो इतने लंबे समय से सलाखों के पीछे है. जिन लोगों ने प्रदर्शन, भड़काने की योजना बनाई और इस पर अमल किया, वे न तो आरोपी बनाए गए और न ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. वे तो खुलेआम घूम रहे हैं.

उमर खालिद के वकील ने सरजिल इमाम से भी किसी भी तरह के रिश्ते से इनकार किया और कहा कि एक वॉट्सएप ग्रुप में दोनों थे. निचली अदालत ने इसी आधार पर रिहाई से इनकार कर दिया. ये ग्रुप न तो उमर खालिद ने बनाया था और ना ही सरजिल को उसने जोड़ा ही था. उमर खालिद ने उस ग्रुप में एक भी पोस्ट नहीं की थी.

 

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