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दिल्ली के जंतर- मंतर पर फिलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन, हिरासत में लिए गए 50 लोग

इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में फिलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेते हुए कहा कि इन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई थी और कानून-व्यवस्था से किसी को खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा.

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पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया

इजरायल और फिलस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच चल रहे युद्ध को लेकर दिल्ली में फिलस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. पुलिस ने शुक्रवार को 50 से अधिक छात्रों और सिविल सोसाइटी के लोगों को फिलिस्तीन के समर्थन में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के दौरान हिरासत में लिया था.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारी अलग-अलग जत्थों में जंतर-मंतर पर पहुंचे थे और बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया गया. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "चूंकि प्रदर्शनकारियों के पास अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्हें हिरासत में लिया गया. उन्हें दिल्ली के अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में रखा गया है"

प्रदर्शनकारियों ने "फिलिस्तीन को फ्री करो" के नारे लगाए और दोनों देशों के बीच तत्काल युद्धविराम की मांग की, 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद से दोनों देशों में युद्ध जारी है. इजरायल के जवाबी हमलों में हजारों लोग अब तक मारे गए हैं.

इजराइल के जवाबी हमलों के बाद गाजा में हर तरफ मलबा ही नजर आ रहा है जो वैश्विक चिंताएं बढ़ा रही हैं. प्रदर्शनकारियों ने फिलस्तीन के पक्ष में नारे लगाते हुए जंतर-मंतर की ओर मार्च करने की कोशिश की. जब प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर पहुंचे तो अर्धसैनिक बलों के साथ पुलिसकर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और थाने ले आए.

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जब उन्हें हिरासत में लिया जा रहा था तो एक प्रदर्शनकारी ने पुलिस वैन में चिल्लाते हुए कहा, 'यह विरोध केवल फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए है.' कुछ प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि विरोध शुरू होने से पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया. 

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट की गई. हालांकि, पुलिस अधिकारियों ने आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं थी. पुलिस अधिकारी ने कहा, 'किसी को भी कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं है.'

बता दें कि 7 अक्टूबर को, हमास के आतंकवादियों ने हजारों रॉकेट दागे और जमीन, हवा और समुद्र के माध्यम से इजरायली शहरों में लड़ाके भेजकर हमला शुरू कर दिया था. इज़राइल पर हमास द्वारा किए गए इस बड़े हमले में 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हमास ने गाजा में 220 से अधिक इजरायली और विदेशी लोगों को बंधक बना रखा है. इसके बाद इजरायली की नेतन्याहू सरकार ने जंग का ऐलान करते हुए जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी जिसमें गाजा पट्टी में 6,500 लोग मारे जा चुके हैं.

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