
दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 12 कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक की. इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कॉलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टॉफ का वेतन देने के लिए 28.24 करोड़ रुपये जारी करने के आदेश दिए हैं. बैठक में कॉलेजों के गवर्निंग बॉडी के सदस्य, कॉलेजों के चेयरपर्सन, कॉलेजों के प्रिंसिपल और लेखा अधिकारी (एओ) भी मौजूद थे.
बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि डीयू के कॉलेज विभिन्न मदों में उपलब्ध फंड को वेतन देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, इस पर कोर्ट के आदेशानुसार ही दिल्ली सरकार कोई निर्णय करेगी. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में कॉलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टॉफ का वेतन नहीं रुकने देंगे. हर मुद्दे को कॉलेजों के साथ मिलकर सुलझाएंगे.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से खबर पढ़ रहा कि कॉलेजों के टीचिंग स्टॉफ को वेतन नहीं मिल रहा है. हमारी सरकार दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार करने के काम के लिए जानी जाती है, लेकिन, सरकार की नीयत की गलत व्याख्या की जा रही हैं और इसकी वजह से दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच गलतफहमी उत्पन्न हो रही है. उन्होंने कहा कि मैं इस बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों से स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस मुद्दे पर हम उनके साथ खड़े हैं. हम कर्मचारियों की दलीलों और चिंताओं का विरोध नहीं करते हैं.

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कई लंबित मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाने की जरूरत है. हम नहीं चाहते हैं कि इन कॉलेजों की छवि खराब हो. उन्होंने कहा कि कॉलेजों की सफलता ही हमारी सफलता है. हम शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय की तरफ से कुलपति को निमंत्रण भेजेंगे ताकि लंबित मुद्दों पर उनसे बातचीत की जा सके. वहीं, बैठक में शामिल दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले पांच साल में कई परियोजनाओं के के लिए कॉलेजों को धनराशि स्वीकृत किया है.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम अपने दायरे में आने वाले कॉलेजों को पूरा फंड देने के लिए तैयार है. चाहे वे फंड किसी भी मद के अंदर आते हों. उन्होंने कहा कि वित्त पोषित कॉलेजों को दिल्ली सरकार पर पूरा भरोसा होना चाहिए और उनके पत्रों और उनकी भावनाओं में भी 100 फीसदी यह पारदर्शिता झलकनी चाहिए. अगर आप अपनी तरफ से पारदर्शिता बरतते हैं, तो दिल्ली सरकार भी पारदर्शी तरीके से फंड देने के लिए तैयार है. डीयू के कॉलेजों के खाते और बजट में यह सारे खर्च स्पष्ट तौर पर दिखाई देने चाहिए.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि गवर्निंग बॉडी दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच एक पुल का काम करती है, हम उन्हें खत्म नहीं कर सकते. उनकी टाइमलाइन को जितनी जल्दी हो सके, बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जारी करने में देरी हुई है. इसे समाप्त करने की जरूरत है जिससे फंड जल्दी जारी किया जा सके.