दिल्ली के मंडी हाउस में मौजूद ललित कला अकादमी में मंगलवार को एक बेहद खास कला प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ. 'सृजन 22' नाम की ये प्रदर्शनी अपनी तरह की पहली कला प्रदर्शनी है, जहां सात चुनिंदा कलाकार, जिनमें सभी सैन्य अधिकारियों की पत्नियां हैं, अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कर रही हैं. बता दें कि इस प्रदर्शनी का आयोजन 24 से 30 दिसंबर 2022 तक फेमस ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में किया जा रहा है.
प्रदर्शनी का उद्घाटन सांसद और पूर्व मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने किया. इस दौरान उन्होंने न सिर्फ इस एग्जीबिशन को बड़ी बारीकी से देखा बल्कि इसकी सराहना भी की और कलाकारों का हौसला भी बढ़ाया.
राज्यवर्धन सिंह ने कहा कि कला और संस्कृति को कभी बदला नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि सेना के कर्मचारियों की पत्नियों का जीवन बहुत मुश्किल भरा और चुनौतियों वाला होता है, उन्हें बहुत यात्राएं करनी पड़ती हैं. ऐसे में किसी रचनात्मक और कलात्मक शौक को एक मुकाम दे पाना बहुत बड़ी बात है. इस कला के माध्यम से इन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया हैं. जहां-जहां ये सभी रह चुकी हैं, इन्होंने जहां-जहां से प्रेरणा ली हैं और उसे जिस तरह से उकेरा है वो अपने आप में अद्भुत है.
'सृजन 22' शो की एक और ख़ास बात यह है कि प्रत्येक कलाकार भारत के एक अलग राज्य से संबंधित हैं. लेकिन जो चीज़ उन्हें एक साथ बांधती है वह है कला और सेना की बिरादरी के लिए उनका प्यार, जहां वे देशभक्ति और भाईचारे की भावना से बनते-बढ़ते हैं. इस प्रदर्शनी में उन कला कार्यों को शामिल किया गया है जो इसमें शामिल कलाकारों की रचनात्मक यात्रा पर रोशनी डालती हैं.
ग्रुप शो में वैशाली सिंह, शाइनी शर्मा, नीलिमा दयाल, मोनिका सरोच, लैशराम जेनी, अनीशा कोटिभास्कर और नमिता मिनोत्रा के काम शामिल हैं, जिन्हें भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी अपनी कला को विस्तार देने का मौका मिला.

ग्रुप में शामिल शाइनी शर्मा, ऑयल और एक्रेलिक दोनों में काम करती हैं. उन्होने 'लेयर्स' थीम के तहत बनाई अपनी पेंटिंग्स को इस प्रदर्शनी में शामिल किया है. शाइनी ने अपनी पेंटिंग्स पर बात करते हुए कहा कि मेरी पेंटिग्स में लकीरें, परतों और टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि जो कुछ भी मौजूद है वह अपने आप में संपूर्ण नहीं है. जो कुछ भी होता है उसकी परतें होती हैं, चाहे वह सृजन हो, अस्तित्व हो या फिर चेतना.
अब उन कलाकारों की बात करते हैं, जिनकी कला को देखकर आप हैरान रह जाएंगे.
लैशराम जेनी की सीरीज है 'कोइना पैबी लीरांग', ये उनकी वॉटर कलर की सीरीज़ का पहला भाग है जो मणिपुर की एक महिला की कहानी कह रहा है. एक ऐसी महिला जो दुनिया की खोज करना चाहती है. जेनी एक सेल्फ ट्रेंड आर्टिस्ट हैं. उनकी पेंटिंग्स मणिपुर की लोकातक झील की यादों पर आधारित हैं. मिनिमल स्टाइल का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने अपने चित्रों में जगह के सार को पकड़ने की कोशिश की है.
वैशाली सिंह, अपनी सीरीज 'विग्नेट्स इन स्टोन' में, अपने जीवंत ब्रश स्ट्रोक के माध्यम से अतीत के अज्ञात कलाकारों द्वारा गढ़े शैलचित्रों की मोहक सुंदरता को प्रदर्शित करती हैं.
नीलिमा दयाल की सीरीज "द ईथरियल इक्वाइन" ने ज़ेंटंगल कला के आकर्षक, जियोमैट्रिकल पैटर्न और पानी के रंगों का उपयोग किया है. इस सीरीज में उन्होंने मिथक, पौराणिक कथाओं और लोककथाओं में घोड़ों का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश की है.
मोनिका सरोच की रचनाएं शांति और स्वतंत्रता की भावना को दर्शाती हैं. अपनी सीरीज "एज़्योर" के माध्यम से वह खुद को खूबसूरती से व्यक्त करने के लिए ब्लूज़ के विभिन्न रंगों के साथ तस्वीर में रंग भरना चुनती हैं.
अनीशा कोटिभास्कर, 'द मार्केट्स' नामक सीरीज के माध्यम से भारत के बाजारों के जीवंत रंगों को साकार करती हैं. उनकी कलाकृतियां पूरे दिन, हर जगह बाजार की ऊर्जा, मनोदशा और उद्देश्य को जोड़ती हैं. इसमें चाकू का रचनात्मक उपयोग किया गया है.
नमिता मिनोत्रा एक कलात्मक उत्साह के साथ एक वॉटर कलर आर्टिस्ट हैं, जो 'माध्यम' के साथ प्रयोग करना पसंद करती हैं और अपनी सीरीज 'सुंदरी' में उन्होंने लकड़ी पर पानी के रंगों के साथ-साथ पायरोग्राफी और तांबे के स्टेपलिंग के साथ कलाकारी की है.
कलाकृतियों के अलावा, यह प्रदर्शनी कला-संवाद के लिए कुछ प्रतिष्ठित कलाकारों की मेजबानी भी करेगी. भाग लेने वाले कलाकारों द्वारा पेंटिंग की अपनी शैली की झलक दिखाने के लिए प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएंगी. इस प्रदर्शनी में प्रवेश नि:शुल्क है और 30 दिसंबर तक ये सभी के लिए ओपन है.